सिंधिया को चाहिए 3 मंत्री पद, दो निगम मंडल और संगठन में हिस्सेदारी! शिवराज और BD शर्मा परेशान

Edited By meena, Updated: 23 Nov, 2020 03:18 PM

scindia needs 3 ministerial posts

मध्यप्रदेश में कैबिनेट विस्तार और बीजेपी की नई टीम ज्योतिरादित्य सिंधिया की जिद के चलते उलझकर रह गया है। सूत्रों का दावा है, कि ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी डिमांड पर कायम है, इस दौरान वह कैबिनेट में तो अपनी पूर्व निर्धारित संख्या बरकरार रखने के पक्ष...

भोपाल(हेमंत चतुर्वेदी): मध्यप्रदेश में कैबिनेट विस्तार और बीजेपी की नई टीम ज्योतिरादित्य सिंधिया की जिद के चलते उलझकर रह गया है। सूत्रों का दावा है, कि ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी डिमांड पर कायम है, इस दौरान वह कैबिनेट में तो अपनी पूर्व निर्धारित संख्या बरकरार रखने के पक्ष में है, तो हारे हुए चेहरों को भी निगम मंडल के जरिए सरकार में एडजस्ट करना चाहते हैं। इसके साथ ही ज्योतिरादित्य सिंधिया संगठन में भी अपना प्रभाव जमाने के लिए दो चेहरों को उपाध्यक्ष पद दिलवाना चाहते हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया की यह डिमांड शिवराज सिंह चौहान और वीडी शर्मा के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है, और पार्टी नेतृत्व लगातार बैठकों के जरिए इस चुनौती से उबरने की कोशिश कर रहा है। उधर सूत्रों का दावा है, कि बीजेपी सिंधिया की यह मांग मानने के पक्ष में कतई नहीं है, और अब बीच के रास्ते पर मंथन कर रही है। 

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अतिरिक्त मंत्री पद तो नहीं मिलेगा
कैबिनेट में हिस्सेदारी से जुड़ी ज्योतिरादित्य सिंधिया की मांग को बीजेपी ने सिरे से खारिज कर दिया है, दरअसल इस वक्त कैबिनेट में कुल 6 पद खाली है। जिसमें दो पहले से ही सिंधिया खेमे के गोविंद सिंह और तुलसी सिलावट के लिए रिजर्व हैं। बचे चार चेहरों में बीजेपी को अपने उन नेताओं को एडजस्ट करना है, जो पिछली बार कैबिनेट का हिस्सा नहीं बन पाए थे, फिलहाल देखा जाए तो बीजेपी में लगभग 1 दर्जन चेहरे मंत्री पद की कतार में है और अगर अब सिंधिया खेमे के किसी नेता को कैबिनेट में जगह दी गई, तो बीजेपी के कई दिग्गज इस रेस से बाहर हो सकते हैं, इसलिए बीजेपी ने सिंधिया को दो टूक संदेश देते हुए कह दिया है, कि उन्हें अब गोविंद सिंह और तुलसी सिलावट के अलावा कोई और मंत्री पद नहीं मिलेगा। 

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बीजेपी बोली- कोई भी दो पद ले लो
खबर है, कि बीजेपी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया से दो टूक कह दिया है, कि या तो वह अपने किन्हीं भी दो चेहरों को निगम मंडल के जरिए सरकार में एडजस्ट करलें, या फिर संगठन में उपाध्यक्ष पद पर उन्हें जगह दिलवा दें। फिलहाल बीजेपी इससे अधिक कुछ भी देने के मूड में नहीं है। सूत्रों के मुताबिक, अभी बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती उपाध्यक्ष और निगम मंडलों के चेहरों का चयन करना है, इसी बीच सिंधिया का यह दबाव उसे काफी अखर रहा है, और इस मोर्चे पर वह किसी भी स्तर पर झुकने को तैयार नहीं है।

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