200 साल पुरानी परंपरा आज भी निभाता है 'सिंधिया राजघराना', दशहरे के दिन राजा बन जाते हैं सिंधिया

Edited By Vikas kumar, Updated: 09 Oct, 2019 11:25 AM

200 years old tradition of scindia royalty

सिंधिया राजवंश की प्राचीन धार्मिक परंपरा के अनुसार दशहरे के पर्व पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शमी पूजन किया। मांढरे की माता के पास स्थित प्रांगण में यह आयोजन हुआ इस मौके पर उनके चिरंजीव महाआर्यमन सिं...

ग्वालियर (अंकुर जैन): सिंधिया राजवंश की प्राचीन धार्मिक परंपरा के अनुसार दशहरे के पर्व पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शमी पूजन किया। मांढरे की माता के पास स्थित प्रांगण में यह आयोजन हुआ इस मौके पर उनके चिरंजीव महाआर्यमन सिंधिया भी मौजूद थे। सिंधिया ने शमी पूजन के बाद विजयादशमी की सभी को  शुभकामनाएं देते हुए देश प्रदेश के नागरिकों की सुख संपन्नता की कामना की।

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पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया राजसी वेशभूषा में अपने बेटे के साथ शाम शमी पूजन के लिये मांढरे की माता के पास दशहरा प्रांगण पहुचे। इस अवसर पर सिंधिया राजघराने के सरदार और सिपहसाल रहे प्रमुख लोग भी मौजूद थे। सिंधिया ने उनसे मुलाकात की, और तुरंत ही सिंधिया राजवंश की धार्मिक मान्यताओं और रीति रिवाजों  के अनुसार उनके राज पुरोहितों ने विधिविधान से शमी पूजन कराया, और उसके बाद सिंधिया ने तलवार से शमी के वृक्ष को छुआ और इस तरह शमी पूजन की विधि सम्पूर्ण हुई। इस मौके पर सिंधिया ने कहा कि देश प्रदेश में खुशहाली रहे सभी अच्छा जीवन बिताये यही मैं चाहता हूं।

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सिंधिया राजवंश के पुरोहितों ने बताया कि ‘यह सिंधिया राजाओ की  सैकड़ो साल पुरानी परंपरा है जब राजा कोई युद्ध जीत कर आते थे तो शमी पूजन करते थे जिससे उनको युद्ध मे विजय होने का आशीर्वाद मिलता था, चाहे वह रण का युद्ध हो या राजनीति में सफलता का। वही जानकार लोगों का कहना था कि शमी वृक्ष जीत औऱ संपन्नता का धोतक है दशहरे पर पूजा के बाद तलवार से शमी वृक्ष को छुआ कर उसकी पत्तियां बाटी जाती है, और अच्छे सुखमय जीवन की कामना की जाती है, जिससे हर कार्य मे सफलता हाथ लगती है।

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