Edited By Himansh sharma, Updated: 03 Jan, 2025 03:07 PM
यूनियन कार्बाइड का 337 मीट्रिक टन कचरा पीथमपुर पहुंचा
पीथमपुर। यूनियन कार्बाइड का 337 मीट्रिक टन जहरीला कचरा पीथमपुर पहुंचने के साथ ही विरोध भी शुरू हो गया है। कचरा जलाने के विरोध में गुरुवार को एक रैली भी निकाली गई। शुक्रवार को नगर बंद का आह्वान किया गया है। पीथमपुर बचाओ समिति ने दिल्ली में पहुंचकर जंतर मंतर पर धरना भी दिया। पीसीसी चीफ जीतू पटवारी पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन से भी मिले थे और उन्होंने कचरा जलाए जाने पर चिंता व्यक्त की। आपको बता दें कि सरकार ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों का विरोध दूर करने की जिम्मेदारी मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को दे दी है। वह जनप्रतिनिधियों से बैठक करेंगे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश, वैज्ञानिक रिपोर्ट्स और परीक्षण के नतीजों की जानकारी देकर उनसे बातचीत करेंगे।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि पीथमपुर में कचरे का निस्तारण सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के तहत सावधानीपूर्वक हो रहा है। इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए। सीएम ने कहा कि कचरे में 60% स्थानीय मिट्टी, 40% रासायनिक अपशिष्ट हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, इस कचरे का विषैला प्रभाव 25 वर्षों में खत्म हो जाता है। सीएम ने कहा कि कचरे के निस्तारण की प्रक्रिया को नीरी, एनजीआरआई, आईआईसीटी और सीपीसीबी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों की निगरानी में किया गया। 2013, 2014 और 2015 में पीथमपुर में हुए तीन ट्रायल रन सफल रहे, जिनमें पर्यावरण या स्थानीय क्षेत्र पर नकारात्मक प्रभाव नहीं पाया गया। कचरा जलाने की प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई। बुधवार को दिनभर कंटेनर खड़े रहे। तारपुरा गांव के रहवासी इलाके से सटी कंपनी की बाउंड्रीवाल पर तार फेंसिंग लगाने का काम चलता रहा।
कचरे की राख पहले कैप्सूल में भरी जाएगी, उसके बाद दफनाया जाएगा
इससे पहले कचरा 12 कंटेनर में गुरुवार तड़के 4:16 बजे पीथमपुर स्थित रामकी इनवायरो परिसर में पहुंचे। भोपाल से बुधवार रात 9 बजे कंटेनर निकलने के बाद से पुलिस को अलर्ट कर दिया गया था। रात 1:30 बजे पुलिस ने कंपनी के आसपास के 200 मीटर एरिया को सील कर दिया। वहीं ड्रोन से भी यहां पर नजर रखी जा रही थी, अब 1200 डिग्री सेल्सियस तापमान पर कचरे को जलाया जाएगा। इस दौरान राख भी सुरक्षित जमीन में दफन की जाएगी। इसके लिए कंपनी परिसर में गड्ढे खोदे जा रहे हैं। इसमें सीमेंट के बेस के ऊपर राख के कैप्सूल को दफनाया जाएगा। ताकि पानी का बहाव भी हो तो कैप्सूल के अंदर राख पर असर न हो।