राज्य पाल के पास अटका आरक्षण बिल, विपक्ष ने सरकार को लेकर कही ये बात

Edited By Devendra Singh, Updated: 11 Dec, 2022 11:32 AM

congress and bjp fight for reservation bill 2022 in chhattisgarh

छत्तीसगढ़ में आदिवासियों का आरक्षण विल सर्वसम्मति से विधानसभा में पास हो गया है। बिल अब राज्यपाल के पास साइन के लिए अटका है। कांग्रेस चाहती है कि राज्यपाल इस बिल पर जल्दी से साइन कर दे लेकिन बीजेपी का कहना है कि सरकार इस बिल को लेकर जल्दबाजी दिखा...

रायपुर (सतेंद्र शर्मा): छतीसगढ़ (chhattisgarh) में अगले साल यानी 2023 में विधानसभा इलेक्शन (assembly election 2023) हैं। बीजेपी (bjp) प्रदेश के किसी भी मुद्दे को छोड़ना नहीं चाहती है। ताकि चुनाव के समय वोटर्स को लुभाया जा सके। इसी कड़ी में आरक्षण विधेयक (reservation bill) को लेकर बीजेपी और कांग्रेस (congress) आपस में उलझते ही नजर आ रही है। हालांकि ये विधेयक विधानसभा में पास तो हो गया लेकिन आरक्षण विधेयक को लेकर छतीसगढ़ में अभी भी बयानबाजी जारी है। एक तरफ़ सरकार ने 2 दिन का विशेष सत्र बुलाकर आरक्षण विधेयक तो पास कर दिया लेकिन विधेयक अभी भी राजभवन में लटका पड़ा है। इस पर भाजपा का कहना है कि विधेयक सोच समझ कर पेश नहीं किया गया है। जबकि राज्यपाल अनुसुइया उइके (governor Anusuiya Uike) ने विधेयक पर अभी साइन करने से मना कर दिया है। राज्यपाल का कहना है आदिवासी वर्ग (tribal society chhattisgarh) का आरक्षण बढ़ाने के लिए सरकार को विशेष सत्र बुलाने का सुझाव दिया था। लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया है। 

बिल को लम्बित रखना ठीक नहीं: कांग्रेस 

कांग्रेस के संचार प्रमुख सुशील शुक्ला (sushil shukla) का कहना है कि राज्यपाल अनुसुइया उईके (governor of Anusuiya Uike) को तत्काल प्रभाव से आरक्षण विधेयक साइन करना चाहिए और अगर कोई समस्या आ रही है तो राज्य सरकार (state government) को वापस करना चाहिए। ताकि सरकार उसका निराकरण करेगी, ये उनके पास अधिकार है। लेकिन बिल को लम्बित नहीं करना चाहिए। 

 आगे नहीं आये कोई समस्या इसलिए राज्यपाल ने नहीं किए साइन: बीजेपी  

बीजेपी नेता धर्मलाल कौशिक (bjp leader dharamlal kaushik) का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा यह बिल जल्दबाज़ी में पेश किया गया है। सरकार को एक बार सारी चीजें दिखवाना चाहिए। अगर बिल पास होने के बाद कोई हाईकोर्ट (high court) में चेलेंज ना कर सके। फिर लोगों को आरक्षण में कटौती का सफ़र ना करना पड़े। हम लोगों ने आरक्षण बिल को सर्वसहमति से विधानसभा में पास किया है। अब रही राज्यपाल की तो राज्यपाल को अधिकार है कि आगे क्या स्थिति बनेगी उनको हर बिंदु पर विचार करना चाहिए और उसके बाद ही साईन करना चाहिए जिससे बाद में कोई समस्या ना आए।  

 

 

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