Edited By meena, Updated: 08 May, 2023 02:37 PM

मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर की राजनीति जितनी उलझी हुई है, उससे कहीं ज्यादा दिलचस्प भी है, और इससे जुड़ा एक रोचक पहलू उस वक्त सामने आया
इंदौर: मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर की राजनीति जितनी उलझी हुई है, उससे कहीं ज्यादा दिलचस्प भी है, और इससे जुड़ा एक रोचक पहलू उस वक्त सामने आया, जब आकाश विजयवर्गीय के बयान पर पलटवार करते हुए कांग्रेस के युवा नेता और नेशनल मीडिया कॉर्डिनेटर सुवेग राठी ने उनके नाम खुला खत दिया। इस खत में उन्होंने कैलाश विजयवर्गीय के भौकाल को फैब्रिकेडेट बताने के साथ आकाश का टिकट कटने तक की संभावना जाहिर कर दी, पढ़िए ये दिलचस्प राजनीतिक खत...
आकाश भाई जाने-आने और परिवारवाद की बात का जिक्र आपने छेड़ ही दिया है। तो सुनो दो नंबर से घर ही घर में महू तक का सफ़र तय कर (भाजपा के भाजपा में ही) वापस लौटने में पूरे दस साल की मशक़्क़त लगी थी। याद है ना ? आकाश भाई, ठीक है सत्ता में हो लंबे अरसे से। "विजयवर्गीय" मायावी भौकाल छुटभइयों को प्रभावित कर सकता है, लेकिन माफ़ करना “विजयवर्गीयों” के लिए दिल्ली दरबार का शीर्ष नेतृत्व हमेशा कमज़ोर रहा है। बात चाहे सतयुग, द्वापर, त्रेता या कलियुग की हो “शिव सदैव कैलाश पे ही विराजे है और विराजते रहेंगे और विराजेंगे… कैलाश कभी शिव पर नहीं विराज सकता”…फिर चाहे बात आडवाणी जी की हो या मोदी जी की। शीर्ष नेतृत्व हरकतों की वजह से कभी भी खुश नहीं रहा है। बात करें 2008 में महू, अनमने मन से जाने की।
विक्रम वर्मा जी ने प्रदेश कोर कमेटी की बैठक में सिर्फ़ इतना कहा था, कि कैलाश जी इतने बड़े नेता है तो महू से लड़ लें। तो मायावी भौकाल बनाये रखने के लिए चुनाव कैसे जीता है, यह सर्वविदित है। जैसे तैसे महू में पांच साल काटने के बाद इंदौर 2 नंबर में फिर लौटने का पुरज़ोर प्रयास किया। आलम यह था कि 2013 में टिकट वितरण को लेकर दिल्ली के 11 अशोका रोड पर 3 बजे आहूत केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक से 5 मिनट पूर्व दौड़ते भागते तत्कालीन राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल जी से गुहार लगाई, कि मैं इंदौर वापस लौटना चाहता हूं और रामलाल जी का जवाब था, कि मैं कुछ नहीं कर सकता। मजबूरी में फिर से दोबारा महू ही लड़ना पड़ा और परिवारवाद का घोर विरोधी (मोदी का कार्यकाल) जिसमें चाहे सिटिंग सांसद मुख्यमंत्री के पुत्र अभिषेक सिंह के टिकट कटने की बात हो। इस दौर में जब शिवराज सिंह चौहान, नरेंद्र सिंह तोमर, प्रभात झा, सुमित्रा महाजन, माया सिंह, सत्यनारायण जाटिया, गोपाल भार्गव, स्व.नंदकुमार चौहान, जयंत मलैया सहित अन्य नेताओं के बच्चे वर्षों से टिकट के लिए दावेदारों में ही शुमार है। लेकिन 2018 में सिर्फ़ आप पर ही मेहरबानी क्यों बताऊं ???
यह जिन नेताओं के नामों का ज़िक्र है, उन्हीं टिकट से महरूम बच्चों के पिताओं को आप को टिकट दिए जाने पर यह कहते हुए सुना जाता है “पार्टी की तो यह लाइन थी, कि भाजपा जिस परिवारवाद के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरती है वही गलती अपने यहां नहीं दोहराई जाएगी। इसलिए तमाम उक्त पिता पार्टी अनुशासन के तहत ख़ामोश रहे लेकिन जब उन्होंने सिर्फ़ आप पर मेहरबानी पर सवाल उठाया तो उन्हें दिल्ली दरबार से जवाब मिला “आकाश, नेता पुत्र को टिकट न दिए जाने को लेकर अपने राजनैतिक भविष्य की चिंता में डीप डिप्रेशन में चले गए हैं। पिता जी ने अपने आका के समक्ष मानवीय आधार पर टिकट दिए जाने की गुहार लगाई और आका ने एक्सीप्शन केस में पार्टी लाइन को ताक पर रखके मेहरबानी की“।
वही छुटभये नेताओं में भाई साब का मायावी भौकाल की सारे नेता पुत्रों का टिकट कट गया और बेटे का टिकट लेकर आ गए। तो भाई यह तो हुई "विजयवर्गीयों" के पिछले 15 सालों के टिकटों की कहानी। आपके हालिया बयान बता रहे हैं, कि आप डीप डिप्रेशन से बाहर आ चुके हो और भाजपा में परिवारवाद का फार्मूला यथावत।
ज्योतिरादित्य सिंधिया जी हाल ही में कह चुके हैं कि अगर उनका पुत्र राजनीति में आता है तो वो रिटायर हो जायेंगे। यह कहके उन्होंने फिर 2023 के चुनावों में भाजपा में टिकट के दावेदार नेता पुत्रों की अपेक्षाओं पर ग्रहण लगा दिया है। अब देख लेना भाई ग्रहण का असर 3 नंबर पर भी न आ जाए और आपकी वाणी में अगर सरस्वती मैया विराजित हुई तो परिवारवाद की विरोधी आपकी पार्टी भाजपा 2018 में इंदौर 3 नंबर विधानसभा सीट पर हुई भारी मानवीय भूल में सुधार अवश्य करेगी।
जय हिन्द, जय भारत, जय मध्यप्रदेश।