शव वाहन बना जीवनरक्षक, दो घायल बुजुर्गों को पहुंचाया अस्पताल

Edited By meena, Updated: 05 Jun, 2020 01:43 PM

dead body became life guard two injured elderly people were taken to hospital

कहते हैं कि मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है और फिर अगर आपका जज्बा आपकी सोच पॉजिटिव हो तो मृत्यु को भी टाला जा सकता है। ऐसे में मौत का वाहन भी जीवनरक्षक बन जाता है। जी हां ऐसा ही कुछ हुआ है मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में जहां एम्बुलेंस ने नहीं...

छतरपुर(राजेश चौरसिया): कहते हैं कि मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है और फिर अगर आपका जज्बा आपकी सोच पॉजिटिव हो तो मृत्यु को भी टाला जा सकता है। ऐसे में मौत का वाहन भी जीवनरक्षक बन जाता है। जी हां ऐसा ही कुछ हुआ है मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में जहां एम्बुलेंस ने नहीं शव-वाहन ने लोगों की जानें बचाईं हैं। हमेशा लाशों को ढोने वाले शव-वाहन ने घायलों को समय पर अस्पताल पहुंचाकर उन्हें मौत के मुंह से निकालकर उनकी जान बचाईं हैं।

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मामला छतरपुर शहर सिटी कोतवाली थाना क्षेत्र के राजनगर-खजुराहो रोड का है जहां तेज़ रफ़्तार 2 बाईक सवार आपने-सामने भिड़ गये। जिससे उनमें बैठे 2 वृद्ध गंभीर घायल हो गये जो अचेत अवस्था में सड़क पर पड़े थे उनसे काफी खून बह रहा था। जिन्हें अस्पताल ले जाने के लिए उनके साथी यहां-वहां लोगों से मदद मांग आस्पताल ले जाने की गुहार लगा रहे थे। लोग भी एम्बुलेंस बुलाने की फिराक में थे तभी राजनगर क्षेत्र के प्रतापपुरा गांव में मृतक का शव छोड़कर आ रहा शव-वाहन वहां से गुजरा और उसका चालक गोविंद घायलों को देख रूक गया।

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उसने खुद ही घायलों की मदद की बात कही, कि आप लोग मेरे शव-वाहन में इन घायलों को अस्पताल ले चलो क्योंकि एम्बुलेंस को फोन करने और यहां तक आने में 20 से 25 मिनट लगेंगे, इससे बेहतर है कि हमारे शव-वाहन में ही इन्हें ले चलो हम 10 से 15 मिनिट में जिला अस्पताल पहुंच जाएंगे। इनका इलाज हो जायेगा और जान बच जायेगी।

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मौजूद लोगों ने बिना देरी के ऐसा ही किया शव-वाहन चालक गोविंद की बात मान तत्काल घायलों को शव वाहन में रखवा दिया। जहां घायलों को समय रहते जिला अस्पताल ले जाया गया और डॉक्टरों ने उनका समय पर ईलाज कर दिया जिससे उनकी जान बच गई। मामला चाहे जो भी हो पर इतना तो तय है कि गर समय रहते शव-वाहन ने घायलों को अस्पताल नहीं पहुंचाया होता और वहीं रुककर एम्बुलेंस का इंतज़ार किया होता तो इनकी जानें भी जा सकतीं थीं।

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हमेशा मृत लोगों के शवों को लाने ले जाने वाला "शववाहन" इस बार घायलों को अस्पताल लाकर उनका "जीवनरक्षक" वाहन "एम्बुलेंस" बन गया।  इसके लिये प्रसंशा का पात्र शव वाहन का ड्राईवर है।
 

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