Edited By Vikas kumar, Updated: 20 Sep, 2019 06:25 PM
झाबुआ उपचुनाव से पहले ही कांग्रेस में टिकट को लेकर गुटबाजी शुरु हो गई है। टिकट की दावेदारी के लिए दो नेताओं के बीच विवाद चल रहा है जिनमें से एक गुट कांतिलाल भूरिया और दूसरा गुट जेवियर मेढा का है..
झाबुआ(अभिषेक मेहरा): झाबुआ उपचुनाव से पहले ही कांग्रेस में टिकट को लेकर गुटबाजी शुरु हो गई है। टिकट की दावेदारी के लिए दो नेताओं के बीच विवाद चल रहा है, जिनमें से एक गुट कांतिलाल भूरिया और दूसरा गुट जेवियर मेढा का है। इसी विवाद को शांत करवाने के लिए मंत्री सुरेंद्र बघेल झाबुआ आने वाले थे, लेकिन पहले ही विवाद का आभास होते ही मंत्री झाबुआ-आलीराजपुर की सीमा से वापस लौट गए।
दरअसल, बीजेपी के विधायक गुमान सिंह डामोर तीन महीने से पहले ही लोकसभा के लिए सांसद निर्वाचित हो चुके हैं, और उनके द्धारा झाबुआ विधायक पद के इस्तीफा देने से यह सीट खाली हुई है। अनुमान है कि सिंतबर के अंतिम सप्ताह में झाबुआ विधानसभा उपचुनाव की तारीखों का एलान हो सकता है। ऐसे में कांग्रेस में झाबुआ सीट की टिकट के लिए पार्टी में गुटबाजी मची हुई है। एक गुट दोबारा भूरिया को टिकट दिलाने की जद्दोजहद कर रहा है तो दूसरा मेढा के लिए सक्रिय हो चला है। इसके बाद कांग्रेस में राजनीति गर्माई हुई है। मंत्री सुरेंद्र बघेल भी कांग्रेसी नेता व कार्यकर्ता को समझाने के लिए आ रहे थे, लेकिन पहली ही विवाद को भांपते ही वापिस लौट गए हैं। मंत्री के बीच रास्ते से ही उनके वापस लौट जाने को लेकर भोपाल तक चर्चाओं का बाजार गर्म है।
सूत्रों की माने तो अगर कांग्रेस मेड़ा को टिकट देती है तो कांतिलाल भूरिया को संतुष्ट करने के लिए राज्यसभा भेजने का ऑफर दिया जा सकता है। कांग्रेस की रणनीति है कि झाबुआ चुनाव को जीतकर वह राज्य की विधानसभा में निर्दलीयों पर अपना निर्भरता को कम सकेगी। उधर बीजेपी की कोशिश है कि वह फिर से यह सीट जीतकर प्रदेश में कांग्रेस की मुश्किले बरकरार रख सकें।