जानिए क्यों IPS अमित सिंह ने कहा "जिंदगी जिंदादिली का नाम... पंजाब केसरी की रिपोर्ट में

Edited By meena, Updated: 20 Jun, 2020 05:56 PM

ips amit singh post on facebook

फील्ड में रहकर जनता के बीच 100% अपनी वर्दी का फर्ज निभाने वाले 2009 बैच के आईपीएस ऑफिसर अमित सिंह अब जब पुलिस मुख्यालय में एआईजी प्रशासन के पद पर पदस्थ हैं तब भी वे वर्दी का फर्ज अदा कर रहे हैं। अब वे लगातार सोशल साइट पर ...

जबलपुर(विवेक तिवारी): फील्ड में रहकर जनता के बीच 100% अपनी वर्दी का फर्ज निभाने वाले 2009 बैच के आईपीएस ऑफिसर अमित सिंह अब जब पुलिस मुख्यालय में एआईजी प्रशासन के पद पर पदस्थ हैं, तब भी वे वर्दी का फर्ज अदा कर रहे हैं। अब वे लगातार सोशल साइट पर अपने सकारात्मक विचारों से देश वासियों को जागरूक करने में जुटे हुए हैं। वे लगातार अपनी फेसबुक आईडी से अनेक विषयों पर खुल कर राय रख रहे हैं और इन विषयों पर लोगों के उपजे सवालों का भी जवाब दे रहे हैं। उनकी पोस्ट इन दिनों बेहद सुर्खियों में भी और नेशनल मीडिया में भी चर्चा में है।

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अमित सिंह वो अफसर है जो फील्ड में 24 घंटे तैनात रहते थे वे अपनी सोशल पुलिसिंग की वजह से सबसे ज्यादा चर्चित रहे हैं। जो काम एक आरक्षक के जरिए भी किया कराया जा सकता था, उसको वे स्वयं करते आ रहे है। उदाहरण के तौर पर कभी उनके कार्यालय में कोई बुजुर्ग आता था परेशानी लेकर तो उसकी परेशानी को दूर करने के लिए खुद ही उसके साथ घर चल पड़ते थे कभी कोई अपने ऊपर चोरी के लगते इल्जाम को लेकर आता था तो वह उसको वेरीफाई करने के लिए खुद पहुंच जाते थे। कानून व्यवस्था को सुधारने के लिए वे हर मौके पर फील्ड में रहते थे। जबलपुर पुलिस अधीक्षक रहते हुए उनके सामने कई विपरीत हालात भी सामने आए लेकिन उन्होंने अपने धैर्य के जरिए और सोशल पुलिसिंग के जरिए बेहतरीन तरीके से हैंडल किया। इस वजह से जबलपुर की जनता आज भी उनको याद करती है। लेकिन अब जब वे फील्ड में नहीं है उसके बाद भी वह लोगों को जागरूक करने के लिए जुटे हुए हैं और अब माध्यम बना है सोशल मीडिया।जी हां अमित सिंह की फेसबुक आईडी पर जब हमने नजर दौड़ाई तो ऐसी पोस्ट पाई जिनमें साफ तौर पर हमें लगा कि एक आईपीएस ऑफिसर फील्ड पोस्टिंग में ना भी हो तब भी जनसेवा और सकारात्मक विचारधारा के जरिए लोगों को जागरुक करने का कार्य कर सकते हैं।

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पंजाब केसरी ने अमित सिंह की फेसबुक आईडी से जो पोस्ट देखी उनका अध्ययन किया जो बेहद रोचक और सकारात्मक भी हैं और समाज को एक नई दिशा देने वाला है। अमित सिंह ने 19 मार्च को शाम 5 बजकर 10 मिनट पर एक पोस्ट की जिसमें उन्होंने लिखा कि' लोकतांत्रिक मूल्य स्वतंत्रता ,समानता और बंधुत्व समस्त समस्याओं का निवारण करने में सक्षम है बस आवश्यकता है कि हम इसे अपनी जीवन चर्या में उतारे 'इस पोस्ट पर लोगों ने अपने विचार भी रखना शुरू कर दिए जैसे कि एक पाठक ने लिखा सर मुझे तो यह तीनों परस्पर विरोधी और असंभव से लगते हैं क्योंकि तीनों निरपेक्ष रूप से परिभाषित ही नहीं रखते इस पर उन्होंने जवाब दिया ऐसा बिल्कुल नहीं है यह तीनों मूल्य वस्तुतः एक दूसरे के पूरक हैं इस पोस्ट के जवाब पर एक पाठक ने लिखा कि यह आदर्श वाक्य सिर्फ किताबी ही रह गए हैं इस पर अमित सिंह ने इलाहाबाद की भाषा पर उनको जवाब दिया कि' गुरु एका किताबी से दुनियावी हमारे आप जैसे लोगों को ही बनाना है' एक पाठक ने तो यह भी लिख दिया कि अच्छा व्यंग लिखते हो भाई इस पर काफी विचार चलने लगे।

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अमित सिंह ने जवाब दिया दादा यह व्यंग नहीं है हमारे और आप जैसे पढ़े लिखों के लिए तंज है। सामने वाले ने जवाब दिया अपन तो अंगूठा छाप हैं जो पढ़ा वह व्यर्थ गया आईपीएस अमित सिंह ने इस बात का जवाब दिया दादा यह गलतफहमी है और उस सोच का परिचायक है जो यह कहता है आईएएस आईपीएस ही जीवन है और सब व्यर्थ आईपीएस अमित सिंह ने बॉलीवुड के सबसे चर्चित आत्महत्या केस पर भी इशारों इशारों में राय रखी उन्होंने लिखा की भाई भतीजावाद हर दौर में योग्यतावाद का दुश्मन रहा है और कोई भी क्षेत्र इससे अछूता नहीं रहा है। इसने बहुत सी योग्यताओं को असमय ही निगल लिया है।

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यह हमारा दायित्व बनता है कि हम योग्यतावाद का लोकतांत्रिक समर्थन करें, इनकी इस पोस्ट पर अधिकांश लोगों ने समर्थन किया है इस पोस्ट के जरिए उन्होंने सुशांत सिंह राजपूत के आत्महत्या केस पर अपनी राय रखी है उन्होंने मीडिया रिपोर्ट के हवाले से राय रखी है जिसमें सुशांत किस कदर परेशान थे इंडस्ट्री में इस पर उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से हमला बोला है 17 जून को उन्होंने एक पोस्ट की ' अपनी गलतियों को स्वीकार करने से बड़ा कोई धर्म नहीं हो सकता जैसे ही हम अपनी गलती स्वीकार करते हैं वैसे ही हममें सुधार की शुरुआत होती है 'उन्होंने नैतिकता और ईमानदारी पर भी अपनी राय रखी उन्होंने लिखा कि 'रात्रि काल में बिस्तर पर पड़ते ही आपको अपनी इच्छा के अनुरूप नींद आ जाए तो समझ जाइए दिन भर में किया गया।


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आपका कार्य न्याय संगत रहा है 'सकारात्मक विचारों को वे पुरानी फिल्मी गानों के माध्यम से भी व्यक्त करते आ रहे हैं उन्होंने एक गाने की चंद्र लाइन लिखी 'किसी की मुस्कुराहटों पर हो निसार किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार किसी के वास्ते हो मेरे दिल में प्यार जीना इसी का नाम है 'उन्होंने चलायमान जीवन को भी अलग ढंग से व्यक्त किया। उन्होंने एक गीत लिखा' नदिया चले ,चले रे धारा, चंदा चले, चले रे तारा ,तुझको चलना होगा।

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अमित सिंह की कलम पर्यावरण को सुरक्षित रखने की दृष्टि से भी चली है उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए जो सरकार ने कानून बनाए हैं उस पर भी विचार रखे और कहा कि इन कानूनों का पालन करवाने का दायित्व भी जनता का है जनता सजग रहेगी तो कानून का पालन भी बेहतर ढंग से होता है। उन्होंने वृक्षारोपण के बारे में भी लिखा कि आज के इस दिवस का यह संकल्प यह होना चाहिए कि भले हम एक वृक्ष आज ना लगा पाए लेकिन कई वृक्षों को बिना कारण कटने से रोकने के लिए कृत संकल्प होना चाहिए। उन्होंने लोकतांत्रिक मूल्यों पर लिखा की मनसा वाचा कर्मणा जिस दिन हम लोकतांत्रिक मूल्यों का पालन करने लगेंगे हमारी समस्त समस्याएं स्वयमेव समाप्त हो जाएंगी। लेकिन सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न है यह होगा कब? वे कोरोना से लड़ने के लिए भी लिखते आ रहे हैं उन्होंने लिखा हम आत्म बल एवं आत्मानुशासन से कोरोना का सामना करें उन्होंने जिंदगी के बारे में भी लिखा कि जिंदगी जिंदादिली का नाम है।

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मुर्दा दिल खाक जिया करते हैं यह तमाम पोस्ट बताने के लिए काफी है कि वे पुलिस हेड क्वार्टर में बैठकर भी लोकतांत्रिक मूल्य को जन जन तक पहुंचा रहे है। उन्होंने जब वर्दी पहनते वक्त संविधान की रक्षा करने की उसका पालन करने की शपथ ली थी यह तमाम बातें इन फेसबुक पोस्ट में नजर आ रही है। आपको बता दें कि अमित सिंह 20 अप्रैल 2020 तक जबलपुर पुलिस अधीक्षक के रूप में सेवा दे चुके हैं इस वक्त पुलिस हेड क्वार्टर में तैनात हैं फेसबुक को सकारात्मक विचारों का जरिया बना इन तमाम फेसबुक पोस्टों के माध्यम से वे जाहिर तौर पर लोगों को संदेश दे रहे हैं कि फेसबुक का माध्यम सकारात्मक होना चाहिए और सकारात्मक माध्यम से हम लोगों को जीने की सही राह दिखा सकते हैं लक्ष्य प्राप्ति में लोकतांत्रिक मूल्य सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं जो भी व्यक्ति लोकतांत्रिक मूल्यों पर अडिग रहकर आगे बढ़ता है वह सफलता की चोटी पर पहुंच जाता है इसलिए आप लोकतांत्रिक मूल्यों को जीवित रखिए।

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