न्यायिक मजिस्ट्रेट पूर्वी तिवारी फैसला लिखते हुई भावुक, शब्दों में नजर आया दर्द, नर चीतल के हत्यारों को दी कड़ी सजा

Edited By meena, Updated: 22 Dec, 2025 08:15 PM

judicial magistrate purvi tiwari became emotional while writing the verdict

कटनी जिले की ढीमरखेड़ा न्यायालय ने वन्यजीव शिकार के एक मामले में बेहद संवेदनशील और कड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने नर चीतल की हत्या को केवल एक जान का नुकसान नहीं, बल्कि पूरे वन्य-परिवार की तबाही बताया...

जबलपुर (विवेक तिवारी) : कटनी जिले की ढीमरखेड़ा न्यायालय ने वन्यजीव शिकार के एक मामले में बेहद संवेदनशील और कड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने नर चीतल की हत्या को केवल एक जान का नुकसान नहीं, बल्कि पूरे वन्य-परिवार की तबाही बताया। न्यायिक मजिस्ट्रेट पूर्वी तिवारी ने दोषियों को 3-3 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाते हुए कड़ा संदेश दिया है।

ऐतिहासिक फैसला, सजा के साथ मानवीय संदेश

ढीमरखेड़ा न्यायालय में आए इस मामले में जज पूर्वी तिवारी ने अभियुक्त गुलजारीलाल, उसके बेटे दीपक और साथी सोनू व प्रमोद को दोषी करार दिया। कोर्ट ने कहा कि वन्यप्राणियों के प्रति क्रूरता न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि यह मानवीय संवेदनाओं और प्रकृति दोनों पर हमला है। जज पूर्वी तिवारी ने अपने फैसले में साफ शब्दों में कहा कि मूक वन्यजीवों की रक्षा करना समाज और न्याय व्यवस्था की जिम्मेदारी है।

करंट से तड़पाकर मारा गया संरक्षित नर चीतल

जज पूर्वी तिवारी ने फैसले के पैराग्राफ 36 में उल्लेख किया कि मारा गया नर चीतल अनुसूची-3 का संरक्षित वन्यप्राणी था। अभियुक्तों ने जंगल से सटे खेत में जी.आई. तार बिछाकर बिजली का करंट फैलाया, जिससे चीतल की दर्दनाक मौत हो गई। कोर्ट ने इसे अत्यंत क्रूर और अमानवीय कृत्य माना। पैराग्राफ 37 में जज पूर्वी तिवारी ने टिप्पणी की कि इस शिकार से केवल एक जीव नहीं मरा, बल्कि उसकी मादा और बच्चे भी असुरक्षित और बेसहारा हो गए, जिससे एक पूरा वन्य-परिवार हमेशा के लिए उजड़ गया।

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शव के साथ बर्बरता, पर्यावरण संतुलन पर चोट

फैसले के पैराग्राफ 38 में जज पूर्वी तिवारी ने चीतल के शव के साथ की गई बर्बरता का जिक्र किया। कोर्ट ने फैसले में बताया कि अभियुक्तों ने कुल्हाड़ी से चीतल की टांगें काटीं, सिर अलग किया और शव को ठिकाने लगाने की कोशिश की। जज पूर्वी तिवारी ने कहा कि वन्यप्राणी हमारी खाद्य श्रृंखला और पारिस्थितिक तंत्र का अहम हिस्सा हैं और इस तरह की हत्या पूरे पर्यावरण संतुलन को नुकसान पहुंचाती है।

सजा का पूरा ब्योरा

कोर्ट ने साक्ष्यों और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर गुलजारीलाल को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की धारा-9 और 39 के तहत 3 वर्ष के सश्रम कारावास और 20 हजार रुपये अर्थदंड की सजा दी। वहीं दीपक, सोनू और प्रमोद को धारा-39 के तहत 3-3 वर्ष की सजा और 10-10 हजार रुपये अर्थदंड से दंडित किया गया।

कोर्ट का साफ संदेश

जज पूर्वी तिवारी ने अपने फैसले के जरिए स्पष्ट कर दिया कि मूक वन्यप्राणियों के प्रति क्रूरता को समाज और कानून कभी स्वीकार नहीं करेगा, और ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई तय है।

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