Edited By Himansh sharma, Updated: 02 Aug, 2025 11:05 PM

मुख्यमंत्री डॉ. यादव के निर्देशों को पालन करते हुए वृहद तैयारियां की गईं। एनडीआरएफ की टीमों को भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर और धार में तैनात किया गया।
भोपाल। मध्यप्रदेश शासन बहुत संवेदनशील और जनकल्याणकारी शासन है। इसके चलते मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा लगातार सतत प्रयास किए गए कि प्रदेश की जनता को किसी भी स्थिति में परेशानियों का सामना न करना पड़े और शासन हर समय समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति के हित के लिए हमेशा उपलब्ध रहे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव के उक्त निर्देशों के तहत मध्यप्रदेश शासन द्वारा बाढ़ की तैयारियां समय रहते प्रारंभ कर दी गई थीं। मुख्य सचिव द्वारा 9 जून को विस्तृत समीक्षा की गई। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने स्वयं 26 जून और 22 जुलाई को अतिवृष्टि और बाढ़ की तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने 22 जुलाई को सभी जिलों के कलेक्टरों की उपस्थिति में उन्हें बाढ़ की पूर्व तैयारियों के संबंध में और जनता को लाभ पहुंचाने के दिशा-निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव के निर्देशों को पालन करते हुए वृहद तैयारियां की गईं। एनडीआरएफ की टीमों को भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर और धार में तैनात किया गया। एसडीआरएफ को प्रदेश में संवेदनशील स्थानों पर तैनात किया गया। पूरे प्रदेश में 259 संवेदनशील क्षेत्र चिन्हांकित करते हुए डिजास्टर रेस्पॉन्स सेंटर स्थापित किए गए और 111 क्विक रेस्पॉन्स टीम तैनात की गईं। इन कार्यों में जन सामान्य को जोड़ने के लिए 11 जिलों में 3300 आपदा मित्र को भी प्रशिक्षित किया गया। प्रदेश में 80375 सिविल डिफेंस वालंटियर को प्रशिक्षित किया गया है। इसके अलावा माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश थे कि आम जनता को बाढ़ इत्यादि के खतरों के बारे में समय रहते सूचित किया जाए इस काम लिए राज्य आपदा नियंत्रण कक्ष के द्वारा लगातार रेड अलर्ट मोबाइल के माध्यम से भेजे गए। राज्य आपदा नियंत्रण कक्ष द्वारा 1 जून से 30 जुलाई तक SACHET पोर्टल के माध्यम से पीड़ित नागरिकों को 75 रेड अलर्ट 3 घंटे पूर्व भेजे गए हैं।
24 घंटे चल रहे कंट्रोल रूम
सिंचाई विभाग द्वारा विस्तृत व्यवस्था की गई,ताकि बांधों के जल स्तर और छोड़े जाने वाले जल की जानकारी समय रहते जिला कलेक्टर और समस्त व्यक्तियों को पहुंचाई जा सके। भारतीय मौसम विभाग से प्राप्त जानकारियों को भी सभी संबंधित अधिकारियों तथा बचाव दलों को लगातार उपलब्ध कराया जा रहा है। इन सभी कार्यों की निगरानी के लिए 24 घंटे चलने वाले राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम स्थापित किए गए। प्रमुख नदियों के जलस्तर बढ़ने की जानकारी, प्रभावित होने वाले जिले-गांवों की सूची AAPDA Suraksha में जुड़े प्रमुख अधिकारियों-एजेंसियों को निश्चित अंतराल पर दी जा रही है। ताकि, राहत बचाव की अग्रिम कार्यवाही की जा सके। इसके अतिरिक्त शासन द्वारा यह भी सुनिश्चित किया गया कि प्रदेश के सभी अस्पतालों और स्वास्थ्य शिविरों में आवश्यक जीवन रक्षक दवाएं उपलब्ध रहें और 62 स्थानों पर अग्रिम खाद्यान्न का भण्डारण किया गया। ताकि, आम जनता को आवश्यकता पड़ने पर किसी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े। राज्य-जिला-तहसील स्तर पर बाढ़ पूर्व तैयारी, मानसून के दौरान आकाशीय बिजली से जन-सामान्य के बचाव, सर्पदंश से बचाव के लिए सभी विभागों की जिम्मेदारियां तय की गईं और एसओपी-एडवायजरी जारी की गई।
सामान्य से अधिक हुई वर्षा
प्रदेश में अभी तक लगातार 703.33 मिमी वर्षा हो चुकी है, जो सामान्य से 60% अधिक है। यह सामान्य से अधिक वर्षा भी कम समय में तेजी से हुई है। उदाहरण के लिए मंडला में 1107 मिमी बारिश में से लगभग 51% बारिश केवल 4 दिनों में हो गई है। प्रदेश के कुल 40 जिलों में सामान्य से अधिक वर्षा हुई है, शेष 9 जिलों में सामान्य वर्षा एवं 2 जिलों में सामान्य से कम वर्षा हुई है। इतनी अतिवृष्टि के कारण प्रदेश के प्रभावित लगभग 254 ग्रामीण सड़कों, जिनमें से 212 सड़कों में तत्काल सुधार कार्य किया गया है। बैरीकेड्स के माध्यम से ये सुनिश्चित किया गया कि इसके कारण कोई मृत्यु न हो। प्रदेश के समस्त छोटे-बड़े बांधों में जल के भराव में वृद्धि हुई है। लेकिन, समय रहते गेट इस प्रकार खोले और बंद किए गए कि कहीं भी कोई जन-हानि न हो और भविष्य में सिंचाई के पानी की उपलब्धता बनी रहे।
अधिकारियों को त्वरित कार्रवाई के निर्देश
आपदा की इस दुखद घड़ी में मुख्यमंत्री डॉ. यादव के निर्देशानुसार मध्यप्रदेश शासन ने संवेदनशीलता से त्वरित कार्यवाही की है। प्रदेश में 53 राहत कैम्प चलाए जा रहे हैं। इनमें 3065 लोगों को रखा गया है। जिला मउगंज में 3 राहत शिविर पूर्व से ही चल रहे हैं, जिसमें 230 व्यक्ति रह रहे हैं। गुना में 2 राहत शिविर पूर्व से ही चल रहे हैं, जिसमें 170 व्यक्ति रह रहे हैं। मुरैना में 8 राहत शिविर पूर्व से ही चल रहे हैं, जिसमें 1384 व्यक्ति रह रहे हैं। दमोह में 5 राहत शिविर पूर्व से ही चल रहे हैं, जिसमें 1590 व्यक्ति रह रहे हैं। रायसेन में 1 राहत शिविर पूर्व से ही चल रहा है, जिसमें 30 व्यक्ति रह रहे है। इन राहत शिविरों में दवाइयां, भोजन तथा पेय जल त्वरित रूप से उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके अलावा राजमार्ग और मुख्य मार्ग में 94 पुलियां क्षतिग्रस्त हुई थीं। लेकिन, वैकल्पिक मार्ग तत्काल उपलब्ध कराए गए। ताकि, आवागमन में कोई व्यवधान उत्पन्न न हो। प्रदेश में तैनात मोचन दलों/बचाव राहत दलों द्वारा 432 बचाव अभियान चलाए गए हैं। इनमें 3628 नागरिकों तथा 94 मवेशियों को जिंदा बचाया गया है।
जिला कलेक्टर वितरित कर चुके करोड़ों की राशि
जिला कलेक्टरों द्वारा प्रभावित व्यक्तियों को लगभग 28.49 करोड़ रुपये की राशि वितरित कर दी गई है। शासन द्वारा लगभग 3600 करोड़ रुपये की राशि की व्यवस्था इस मद में की गई है, जिससे की राहत कार्यों में किसी प्रकार का वित्तीय व्यवधान न हो पाए। मौसम विभाग के पुर्वानुमान के अनुसार भारी वर्षा की चेतावनी को देखते हुए 30 जुलाई को मुख्यमंत्री डॉ. यादव द्वारा स्वयं बाढ़ नियंत्रण कक्ष का भ्रमण किया गया। इस भ्रमण के दौरान उन्होंने गहराई से बचाव कार्यों का अवलोकन किया। बचाव दलों का मनोबल बढ़ाया और अतिवृष्टि से पीडि़त लोगों से चर्चा कर उनका हौसला बढ़ाया। साथ ही उन्होंने निर्देश दिए कि प्रदेश में अतिवृष्टि से प्रभावित लोगों की मदद करना मध्यप्रदेश शासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसके अतिरिक्त अतिवृष्टि एवं बाढ़ से राहत बचाव कार्यों के संबंध में आवश्यक सभी कदम उठाए जाएं। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि जनता को किसी भी प्रकार की समस्या न हो पाए। बाढ़ से बचाव के लिए आवश्यकतानुसार सेना की मदद ली जा रही है। भारत सरकार द्वारा पूरा सहयोग मिल रहा है।