Edited By meena, Updated: 11 May, 2020 04:39 PM
लॉकडाउन के कारण प्रदेश की आर्थिक व्यवस्था को सुधारने के लिए हाल ही में शिवराज सरकार ने श्रम कानून में बदलाव किए थे। इस नए कानून के अनुसार, मजदूर 4 घंटे एक्ट्रा काम कर सकेंगे। लेकिन अब इस संसोधित श्रम कानून का ट्रेड यूनियन ने विरोध करना शुरू कर दिया...
भोपाल: लॉकडाउन के कारण प्रदेश की आर्थिक व्यवस्था को सुधारने के लिए हाल ही में शिवराज सरकार ने श्रम कानून में बदलाव किए थे। इस नए कानून के अनुसार, मजदूर 4 घंटे एक्ट्रा काम कर सकेंगे। लेकिन अब इस संसोधित श्रम कानून का ट्रेड यूनियन ने विरोध करना शुरू कर दिया है। इसे लेकर सोमवार को ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मोर्चे ने प्रदर्शन किया। इंटक के युवा अध्यक्ष दीपक गुप्ता ने बताया कि मजदूरों से 12 घंटे काम करवाने का निर्णय बहुत ही असंवैधानिक है। सरकार इन संशोधनों को वापस लें। इसके लिए पीएम मोदी को भी एक पत्र लिखा गया है।
इंटक के युवा अध्यक्ष के अनुसार, कार्ल मार्क्स ने सैकड़ों साल पहले जब श्रमिकों के कार्य के घंटे कम करवाये थे। अभी देश के 40 करोड़ मजदूरों के लिए हालात बहुत ही खराब है। मजदूरों के लिए इतिहास में इतने बुरे हालात कभी नहीं आए। कारखानों में 12 घंटे की शिफ्ट, निरीक्षण नहीं किया जाना, उस पर रोक लगाना दुकानों और संस्थाओं में 18 घंटे काम की व्यवस्था करना आदि मजदूरों के हित के खिलाफ है।
सरकार का यह निर्णय एक तरफा है इससे मालिकों को फायदा होगा न कि मजदूरों को सरकार का यह फैसला भेदभाव पूर्ण है। दीपक गुप्ता ने बताया कि इसीलिए संगठन ने इस कानून का विरोध किया है। इसके अलावा पीएम नरेंद्र मोदी को भी चिट्ठी लिखी गई। इंटक के प्रदेश अध्यक्ष आईडी त्रिपाठी, सीटू के प्रदेश महासचिव प्रमोद प्रधान सहित ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मोर्चे ने सरकार को इन संशोधनों को वापस लेने की मांग की।