Edited By Himansh sharma, Updated: 04 Dec, 2025 02:49 PM

आर्थिक संकट से जूझ रही नगर पालिका ने कर्मचारियों की सैलरी के लिए बड़ा और कड़ा फैसला लिया है।
अशोक नगर। आर्थिक संकट से जूझ रही नगर पालिका ने कर्मचारियों की सैलरी के लिए बड़ा और कड़ा फैसला लिया है। अब कर्मचारियों को वेतन तभी मिलेगा, जब वसूली व विभागीय आय बढ़ेगी। साथ ही ‘नो वर्क-नो पे’ नीति को सख्ती से लागू किया गया है।
कम होती आय, बढ़ता दबाव
पहले चुंगी क्षतिपूर्ति से नगरपालिका को लगभग 37 लाख रुपये प्रतिमाह मिलते थे। लेकिन बिजली बिलों का भुगतान न होने, ऋण अदायगी और पेंशन भार बढ़ने से यह राशि घटकर सिर्फ 8 से 10 लाख रुपये रह गई है। नगर पालिका की वार्षिक संपत्ति कर मांग 1.40 करोड़ रुपये है, लेकिन औसतन सिर्फ 7–8 लाख रुपये प्रतिमाह ही वसूली हो पा रही है। सभी स्रोत जोड़कर भी परिषद के पास मुश्किल से 20 लाख रुपये की मासिक उपलब्धता बनती है।
अब काम से जुड़ेगी सैलरी
नई नीति के अनुसार,
जो कर्मचारी अपना निर्धारित कार्य पूरा नहीं करेंगे, उन्हें सीधा “नो वर्क-नो पे” की श्रेणी में रखा जाएगा।
इस नीति के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी सहायक ग्रेड-2 बाबूलाल सेहरिया को दी गई है।
विभागवार नई वेतन व्यवस्था
घर-घर कचरा संग्रहण कर्मचारी
उनका वेतन अब सेवा शुल्क वसूली से तय होगा। वाहन जिस क्षेत्र से कचरा उठाएगा, उसी क्षेत्र से ड्राइवर व हेल्पर को शुल्क वसूली करनी होगी।
राजस्व विभाग – संपत्ति कर वसूली
वसूली गई राशि का
50% — कार्यालय कर्मचारियों का वेतन
50% — स्वच्छता कर्मियों का वेतन
प्रत्येक ARI को रोजाना 30 संपत्तियों का निरीक्षण अनिवार्य होगा।
जिम्मेदारी सहायक राजस्व निरीक्षक आकाश मिश्रा को सौंपी गई है।
जल व्यवस्था विभाग
जलकर वसूली में से आधी राशि जल व्यवस्था और आधी जलप्रदाय कर्मचारियों को वेतन रूप में दी जाएगी। प्रभारी — उपयंत्री मोहिनी साहू
निष्कर्ष
राजस्व संकट से जूझ रही नगरपालिका ने स्पष्ट कर दिया है कि अब सैलरी ‘फिक्स’ नहीं, बल्कि काम और वसूली पर निर्भर होगी। इस नए आदेश ने कर्मचारी वर्ग में हलचल मचा दी है, लेकिन प्रशासन इसे आर्थिक स्थिरता के लिए जरूरी कदम बता रहा है।