Edited By meena, Updated: 05 Aug, 2025 08:22 PM

मध्यप्रदेश में निजी स्कूल संचालकों की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही है...
भोपाल (इजहार हसन) : मध्यप्रदेश में निजी स्कूल संचालकों की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही है। राज्य सरकार द्वारा लागू किए गए नए मान्यता नियमों के चलते करीब 4,800 निजी स्कूल बंद होने की कगार पर हैं। वहीं, संचालक सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं। मंगलवार को विधानसभा सत्र के दौरान शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि स्कूल यदि फिट नहीं हैं, तो उनकी मान्यता रद्द होगी। नियमों से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। यह मोहन यादव की सरकार है, जहां कायदों से चलना होगा। विधानसभा परिसर में मीडिया से चर्चा करते हुए मंत्री सिंह ने कहा कि पहले कहा जाता था कि शिक्षा विभाग ध्यान नहीं देता। अब जब हम नियमों का सख्ती से पालन करवा रहे हैं, तो विरोध हो रहा है। यदि स्कूल फिट नहीं हैं, तो उन्हें मान्यता नहीं दी जा सकती। या तो व्यवस्थाएं सुधारी जाएं, या फिर अव्यवस्था को अनुमति दी जाए – जो कि असंभव है।शिक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि यह निर्णय बच्चों के हित को सर्वोपरि रखते हुए लिया गया है। ऐसे स्कूल जिन्हें मानकों पर खरा नहीं पाया गया, उन्हें एक साल की सशर्त मान्यता दी गई है। यदि वे निर्धारित समय में सभी मानक पूरे नहीं करते, तो अगले सत्र में मान्यता स्वतः समाप्त मानी जाएगी।
पढ़ाई नहीं रुकेगी, सरकारी स्कूल हैं विकल्प
मंत्री ने यह भी आश्वासन दिया कि किसी भी बच्चे की शिक्षा बाधित नहीं होने दी जाएगी। प्रदेश के हर क्षेत्र में सरकारी स्कूल उपलब्ध हैं। जरूरत पड़ी तो छात्रों को वहां शिफ्ट किया जाएगा।
मई से जारी है विरोध, मंत्री आवास पर भी कर चुके प्रदर्शन
प्राइवेट स्कूल वेलफेयर संचालक मंच द्वारा मई महीने से विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। मंच के अनुसार नए नियम अव्यवहारिक हैं। प्रदेश के करीब 4,820 स्कूलों ने मान्यता के लिए आवेदन ही नहीं किया है। इससे लगभग 60-70 हजार शिक्षक बेरोजगार हो सकते हैं, और 1.25 लाख गरीब बच्चों की पढ़ाई पर संकट मंडरा रहा है। संचालकों ने हाल ही में 74 बंगला स्थित शिक्षा मंत्री के आवास के बाहर प्रदर्शन कर नियमों में बदलाव की मांग की थी।