Edited By Vikas kumar, Updated: 23 Mar, 2019 11:45 AM
हाल ही हुए लोकप्रिय एसपी अमित सिंह के तबादले के बाद जहां एक ओऱ जबलपुर की जनता आक्रोश में है तो वहीं अमित सिंह को हटाने के फैसले पर मध्यप्रदेश निर्वाचन पदाधिकारी वी एल....
जबलपुर (विवेक तिवारी): हाल ही में हुए लोकप्रिय एसपी अमित सिंह के तबादले के बाद जहां एक ओऱ जबलपुर की जनता में आक्रोश है तो वहीं अमित सिंह को हटाने के फैसले पर मध्यप्रदेश निर्वाचन पदाधिकारी वी एल कांताराव की भूमिका संदेह के घेरे में आ गई है। जबलपुर पुलिस अधीक्षक रहते अमित सिंह के खिलाफ बीजेपी नेताओं ने चुनाव आयोग से जो शिकायतें की थी, उनमें अमित सिंह को क्लीचिट दी गई है।
पहली शिकायत के बाद बीजेपी ने पुन: शिकायत की थी की अमित सिंह के साथ वीडियो में मौजूद फरार आरोपी जय घनघोरिया है, इस पर पुलिस महानिदेशक से रिपोर्ट तलब की गई थी। जिस में यह बात सामने आई है कि, जिस जय घनघोरिया को वीडियो में बता कर बीजेपी ने शिकायत की थी असल में तो वह विजय घनघोरिया है। जबकि जय घनघोरिया उस पार्टी में मौजूद ही
नहीं था, जय घनघोरिया तो खुद धारा 304, 307 के आरोप पर फरार है। जिस पर 10 हजार का ईनाम तो अमित सिंह ने ही घोषित किया था।
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह के इशारे पर हुई कार्यवाही !
बिना किसी जांच के जबलपुर एसपी अमित सिंह को जिस तेजी से चुनाव आयोग ने जबलपुर जिले से अलग करने की जल्दबाजी दिखाई है। उस से कई सवाल खड़े हुए। इसको लेकर जब हमने पड़ताल की थी, तो पहले यही बात सामने आई थी कि, अमित सिंह को बिना किसी जांच के जल्दबाजी में बीजेपी नेताओं के दवाब के चलते ही अलग किया गया। सूत्र तो ये भी बताते हैं की बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह को अमित सिंह पसंद नहीं आ रहे थे, खैर ये बात अलग है की बीजेपी की सरकार में ही अमित सिंह की पोस्टिंग जबलपुर में हुई थी, और जब अमित सिंह निष्पक्ष तरीके से काम करते नजर आए तो विपक्ष में आते हैं बीजेपी दहशत में आ गई। सूत्र बताते हैं की अमित सिंह को अलग करने की चेतावनी प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह ने एक नगर पुलिस अधीक्षक को भी दी थी। राकेश सिंह ने कहा था की 10 दिन में जबलपुर से इस एसपी को अलग करवा देंगे, हुआ भी ठीक वैसा ही, झूठी आधारहीन शिकायतें होने पर चुनाव आयोग ने बिना किसी जांच का इंतजार किए अमित सिंह को अलग कर दिया, लेकिन अब एसपी को दोनो ही मामलों में क्लीन चिट मिल गई है।
पहले अवार्ड फिर सजा का फरमान
लोकतंत्र में नैसर्गिक न्याय का सिद्धांत लागू होता है। लेकिन इस मामले पर ये सिद्धांत कहीं नजर नहीं आया। हर वक्त बीजेपी की शिकायत को ही सच मान लिया गया। पुलिस हेडक्वार्टर की रिपोर्ट को दरकिनार कर वी एल कांताराव मुख्य चुनाव अधिकारी मध्यप्रदेश ने अमित सिंह को सीधे जिले से अलग कर दिया गया। ऐसे में सवाल ये उठता है कि कांग्रेस का वो आरोप सच है जिसमें कहा जाता रहा है कि चुनाव आयोग बीजेपी के हाथ की कठपुतली है।