Edited By meena, Updated: 26 May, 2025 02:54 PM

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज किसानों का आह्वान करते हुए कहा कि विकसित भारत का रास्ता किसान के खेत से जाता है...
नरसिंहपुर: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज किसानों का आह्वान करते हुए कहा कि विकसित भारत का रास्ता किसान के खेत से जाता है और किसान अगर महज उत्पादन तक सीमित ना रहते हुए उद्यमी भी बनें तो विकसित भारत का संकल्प 2047 के पहले ही पूरा हो जाएगा। धनखड़ मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर में आयोजित कृषि उद्योग समागम के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान राज्यपाल मंगुभाई पटेल और मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव भी मंचासीन रहे। उपराष्ट्रपति ने कहा कि किसान भाग्य विधाता और भारत की रीढ़ की हड्डी हैं।
इसी क्रम में उन्होंने कृषि उद्योग समागम का संदर्भ देते हुए कहा कि कृषि और उद्योग का मिलन कराना बड़ी सोच है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस प्रकार के आयोजन बताते हैं कि डॉ मोहन यादव के नेतृत्व में मध्यप्रदेश सबसे बड़ी छलांग लगाएगा। उन्होंने कहा कि हर प्रांत को इस प्रकार के कार्यक्रम करते हुए मध्यप्रदेश का अनुकरण करना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा कि डॉ यादव सांस्कृतिक रूप से भी कृषि से जुड़ाव रखते हैं। उन्होंने डेयरी उद्योग को बढ़ावा दिया है। अब भारत सरकार का कृषि मंत्रालय ‘कृषि वैज्ञानिक आपके द्वार' कार्यक्रम आयोजित करा रहा है, जिससे कृषि क्षेत्र में और सुविधा होगी।

धनखड़ ने कहा कि विकसित भारत का रास्ता किसान के खेत से जाता है, विकसित भारत के संकल्प में निर्णायक आहुति किसान की है। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वे सिर्फ उत्पादन तक सीमित नहीं रहें, मार्केटिंग से भी जुड़े। किसान को व्यापार और उद्योग भी आना चाहिए। मध्यप्रदेश वो राज्य होगा, जहां किसान उद्यमी होंगे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आवश्यकता इस बात की भी है कि किसान को सहायता सीधे उसके खाते में जाए। हर किसान को जब सीधी सहायता मिलेगी, तो विकास तेज होगा। अमेरिका में सीधी सरकारी सहायता मिलती है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि भारत में खाद में सब्सिडी है, पर वो अप्रत्यक्ष है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च इस पर ध्यान देगा। उन्होंने कहा कि किसान उद्यमी भी बनें तो विकसित भारत का संकल्प 2047 से पहले ही पूरा हो जाएगा। किसान कृषि और उद्योग का पूरा फायदा उठाएं। उन्होंने जनप्रतिनिधियों से भी आग्रह किया कि वे गांवों को गोद लें।