Edited By Vikas Tiwari, Updated: 25 Aug, 2025 05:59 PM

देश में टाइगर स्टेट का दर्जा रखने वाले मध्य प्रदेश से चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है। साल 2025 में अभी तक सिर्फ आठ महीनों में ही 40 बाघ और शावकों की मौत हो चुकी है। यह आंकड़ा देशभर में सबसे ज्यादा है। मध्य प्रदेश के बाद महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर है
भोपाल: देश में टाइगर स्टेट का दर्जा रखने वाले मध्य प्रदेश से चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है। साल 2025 में अभी तक सिर्फ आठ महीनों में ही 40 बाघ और शावकों की मौत हो चुकी है। यह आंकड़ा देशभर में सबसे ज्यादा है। मध्य प्रदेश के बाद महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर है।
चौंकाने वाली बात यह है कि मरे हुए बाघों में 5 से 8 साल की उम्र की 9 बाघिनें भी शामिल हैं, जो आने वाले समय में बाघों की संख्या बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकती थीं। विशेषज्ञों के मुताबिक मौतों की बड़ी वजह सरकारी लापरवाही और निगरानी तंत्र की नाकामी है, जबकि कुछ मामलों में आपसी संघर्ष भी सामने आए हैं।
प्रमुख वन संरक्षक का पत्र, खुली लापरवाही
हाल ही में बाघों की लगातार मौत के बाद प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख वीएन अंबाड़े ने अधिकारियों की कड़ी खिंचाई की। उन्होंने सार्वजनिक पत्र जारी कर माना कि रिजर्व और जंगलों में बाघों की मौतें हो रही हैं और विभाग को इसका पता तक नहीं चल पा रहा है, जो सबसे बड़ी चूक है। अंबाड़े ने चेतावनी दी है कि आगे यदि मौतें प्राकृतिक कारणों के अलावा अन्य वजहों से हुईं तो संबंधित अधिकारियों पर ठोस कार्रवाई की जाएगी।
बाघों की मौत के पीछे ये हैं कारण?
- अंतरराष्ट्रीय व अंतरराज्यीय शिकारी सक्रिय, स्थानीय लोगों को लालच देकर शिकार कराना।
- अंतरराष्ट्रीय बाजार में हड्डी, खाल व अवशेषों की मांग।
- जंगलों में आग, अवैध कटाई, सरकारी प्रोजेक्ट्स व अतिक्रमण से घटता वन क्षेत्र।
- शाकाहारी वन्यजीवों की कमी और बाघों में आपसी संघर्ष।
- वन विभाग की लापरवाही और शिकारियों पर कार्रवाई का अभाव।
- अफसरों की गैर-जिम्मेदारी भी आई सामने
मामले की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि खुद वन बल प्रमुख ने पहली बार खुले तौर पर अफसरों की निंदा की है। बताया गया कि पहले कुछ अफसर विभागीय ग्रुप्स पर बाघों की मौत का मजाक उड़ाते थे। एक आईएफएस अधिकारी ने तो यहां तक कह दिया था कि “बूढ़े बाघों की मौत तय है।”
5 साल का रिकॉर्ड – लगातार मौतों का सिलसिला
- 2025 – 40 मौतें (अगस्त तक)
- 2024 – 50 मौतें
- 2023 – 43 मौतें
- 2022 – 34 मौतें
- 2021 – 41 मौतें
ये आंकड़े एनटीसीए रिपोर्ट के मुताबिक 23 अगस्त 2025 तक के हैं।
अब होगी सख्त कार्रवाई...
वन बल प्रमुख वीएन अंबाड़े ने कहा कि अभी अधिकारियों को चेतावनी पत्र जारी किया गया है। आगे यदि मौतें रुकती नहीं हैं तो दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही रिजर्व और सामान्य वन क्षेत्रों में पाई जा रही कमियों को दूर करने के निर्देश भी दिए गए हैं।