Edited By Jagdev Singh, Updated: 18 Mar, 2020 01:55 PM
छत्तीसगढ़ में सरकार बदलते ही एक से बढ़कर एक घोटाला सामने आ रहा है। इसी बीच छत्तीसगढ़ से 2718 करोड़ का एक नया घोटाला सामने आया है। पीडीएस नाम के इस घोटाले में अप्रैल 2013 से दिसंबर 2018 के बीच 5 साल के कार्यकाल में 2718 करोड़ की हेराफेरी सामने आई है।...
नई दिल्ली/रायपुर: छत्तीसगढ़ में सरकार बदलते ही एक से बढ़कर एक घोटाला सामने आ रहा है। इसी बीच छत्तीसगढ़ से 2718 करोड़ का एक नया घोटाला सामने आया है। पीडीएस नाम के इस घोटाले में अप्रैल 2013 से दिसंबर 2018 के बीच 5 साल के कार्यकाल में 2718 करोड़ की हेराफेरी सामने आई है। इस दौरान इन 10 लाख राशन कार्ड की मदद से तकरीबन 11 लाख टन चावल की हेराफेरी की गई है। उस समय राज्य में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की रमन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार थी।
वहीं इस घोटाले का खुलासा अन्वेषण ब्यूरो (EoW) ने अपनी जांच के दौरान किया है। अन्वेषण ब्यूरो ने इस मामले से जुड़े तत्कालीन खाद्य अफसरों के खिलाफ धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया है। केस दर्ज़ करने के बाद ईओडब्लू ने नए सिरे से जांच शुरू की है। इससे आरोपियों को पहचानने में आसानी होगी।
नान छापों के बाद पीडीएस में इसे प्रदेश का सबसे बड़ा घोटाला माना जा रहा है। जांच में खुलासा हुआ है कि राशन दुकानों में चावल और दूसरी खाद्य सामग्री पहुंचाने के साथ-साथ उसके सत्यापन की जिम्मेदारी संचालनालय और जिले के जिन अफसरों पर थी उन्हीं ने फर्जी राशन कार्ड छपवा दिए।
जांच में पता चला है कि अफसरों द्वारा बनाए गए इन 10 लाख राशन कार्ड में ज़्यादातर कार्डों के नाम-पते फर्जी थे। फर्जी होने के बावजूद इन पतों पर हर महीने राशन जारी किया जा रहा था। जारी किए गए राशन में चावल मुख्य रूप से शामिल है। ये पूरा मामला राशन माफिया से जुड़ा है। चावल को खुले बाजार में ब्लैक में बेचा गया है और इससे करोड़ों रूपाय कमाए गए हैं।
ईओडब्लू अफसरों ने बताया कि जांच में घोटाले का तरीका और शासन को पहुंचाई गई हानि सामने आई है। अब यह पता लगाया जा रहा है कि इसमें किन अफसरों की क्या भूमिका थी, ताकि उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की जा सके।