बच्चों ने खेल खेल में ढूंढ निकाला 6.5 करोड़ साल पुराना डायनासोर का अंडा, वैज्ञानिक भी हैरान

Edited By meena, Updated: 08 Nov, 2020 04:12 PM

डायनासोर का नाम सुनते ही एक विशालकाय जानवर की छवि आखों के सामने घूमने लगती है। लेकिन यदि हम कहे कि इसी विशालकाय जानवर के अंडे को बच्चों ने गेंद समझकर खूब मजे लिए तो आपको हैरानी तो जरुर होगी। जी हां मध्य प्रदेश के मंडला जिले में एक ऐसा ही मामला सामने...

मंडला(अरविंद सोनी): डायनासोर का नाम सुनते ही एक विशालकाय जानवर की छवि आखों के सामने घूमने लगती है। लेकिन यदि हम कहे कि इसी विशालकाय जानवर के अंडे को बच्चों ने गेंद समझकर खूब मजे लिए तो आपको हैरानी तो जरुर होगी। जी हां मध्य प्रदेश के मंडला जिले में एक ऐसा ही मामला सामने आया है जहां डायनासोर के करोड़ों साल पुराने जीवाश्म मिलने का दावा एक प्रोफेसर ने किया है। प्रोफेसर का दावा है कि जिस पत्थर जैसी वस्तु को बच्चे गेंद समझकर खेल रहे थे वो डायनासोर की जीवाश्म प्रजाति है। खास बात यह कि यह जीवाश्म इससे पहले कभी भारत में नहीं मिला।

PunjabKesari

जीवाश्म का पता सबसे पहले सरकारी स्कूल के एक शिक्षक को महाराजपुर मोहन टोला के पहाड़ी क्षेत्र में मॉर्निंग वॉक के दौरान चला। वैज्ञानिक अध्यन और परीक्षण के बाद पाया गया कि यह शाकाहारी डायनासोर के अंडे हैं। जिसका दावा भूविज्ञानी प्रोफेसर पीके कथल ने अध्ययन के बाद किया। प्रो कथल ने कहा है कि जीवाश्म करीब 6.5 करोड़ साल पुराने हैं और डायनासोर की ऐसी प्रजाति के हैं जो भारत में अब तक नहीं मिला। प्रोफेसर पी के कथल हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय के भूविज्ञानी हैं और उन्होने 30 अक्टूबर को रिसर्च के आधार पर पुष्टि की कि गेंद आकार की यह वस्तु डायनासोर का अंडा है। बताया गया की 6.30 करोड़ वर्ष पहले नर्मदा नदी के आस पास डायनासोर की उपस्थिति दीर्घ थी। जिसकी वजह से डायनासोर दूर दूर से अंडे देने यहा पहुंचा करते थे और इन अंडों का औसत भार 2.6 किलो ग्राम गोलाकार हैं। 

PunjabKesari

मंडला में पदस्थ शिक्षक प्रशांत श्रीवास्तव के अनुसार, वे मोहनटोला इलाके में सुबह मॉर्निंग वॉक के लिए निकले थे। रास्ते में उन्होंने कुछ बच्चों को गेंद की तरह दिखने वाले पत्थर से खेलते हुए देखा। शिक्षक ने बच्चों से वह पत्थर मांगा तो बच्चों ने इंकार कर दिया। लेकिन बच्चों ने उनसे इसी तरह का एक और पत्थर देने की बात कही। इसके बाद वे शिक्षक को उस जगह पर गए जहां एक तालाब की खुदाई हो रही थी। वहां उन्हें उसी तरह की 7 बॉल्स मिलीं। शिक्षक ने बताया कि पहली बार देखकर ही उन्हें अंदाजा हो गया था कि ये जीवाश्म हैं।

PunjabKesari

बता दें कि शिक्षक प्रशांत श्रीवास्तव छात्रों को साइंस पढ़ाते हैं और बचपन से ही जीवाश्मों में उन्हें रुचि है। बॉल मिलते ही उन्होंने उसे म्यूजियम में रखा और मंडला के कलेक्टर सहित शिक्षाविदों से संपर्क किया। प्रशांत इसे किसी सपने के सच होना जैसा बता रहे हैं। वहीं मंडलावासियों का कहना है कि यह मंडला के लिए बड़े गर्व की बात हैं कि अध्यन के बाद यह पुष्टि हुई हैं की यह पुरातत्व की ऐसी धरोहर हैं जो विश्व मे बहुत कम पायी जाती हैं।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!