बैल नहीं मिले तो बेटियों ने कांधे पर उठा लिया हल, देंखे आत्मनिर्भर भारत की शर्मनाक तस्वीर

Edited By meena, Updated: 16 Jul, 2020 06:08 PM

आगर मालवा जिले से दो बेटियों और एक मजबूर किसान पिता की की दिल को झकझोर देने वाली तस्वीर सामने आई है। जहां ग्राम मथुराखेड़ी में दो बेटियों ने गरीब किसान पिता का घर चलाने के लिए ऐसा हाथ आगे बढ़ाया की उनकी पढ़ाई पीछे छूट गई। घर की गरीबी ने बेटियों को बैल...

आगर मालवा(फहीम उद्दीन कुरेशी): आगर मालवा जिले से दो बेटियों और एक मजबूर किसान पिता की की दिल को झकझोर देने वाली तस्वीर सामने आई है। जहां ग्राम मथुराखेड़ी में दो बेटियों ने गरीब किसान पिता का घर चलाने के लिए ऐसा हाथ आगे बढ़ाया की उनकी पढ़ाई पीछे छूट गई। घर की गरीबी ने बेटियों को बैल की जगह जुतने में मजबूर कर दिया। इन बेटियों की ये मजबूरी सरकार के बड़े बड़े दावों का भंडा फोड़ कर रही है वहीं इस बात पर भी मुहर लगा रही हैं कि मदद के नाम पर जो घोषणाएं होती है वह सिर्फ कागजी है।

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जानकारी के अनुसार,  जिला मुख्यालय से करीब 30 किमी दूरी पर स्थित मथुराखेड़ी गांव के किसान कुमेर सिंह और इनकी बेटियां जमना और मधु रहती हैं। 6 बेटियों के पिता कुमेरसिंह को कोई लड़का नहीं है, 4 बेटियों का ब्याह हो चुका है,  गांव में 2 बीघा खेती की जमीन है। इस जमीन पर होने वाली फसल से केवल कुमेर सिंह के घर दो समय का खाना बन सकता है न कि उसकी व उसकी बेटियों की जरूरतें पूरी हो सकती है, ऐसे में पिता का खर्चा कम करने व काम मे हाथ बंटाने के लिए कुमेर सिंह की दोनों बेटियों ने पढ़ाई छोड़ दी और खेतों में पिता की मदद करने लगी।

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कुमेरसिंह की परेशानी यही खत्म नहीं हुई खेतों में फसल बुआई के बाद खरपतवार को नष्ट करने के लिए जब डोर चलाने वाले बैल खरीदने के रुपए नहीं मिले तो कुमेरसिंह की दोनो बेटियां मजबूरन बैल बन गई। मजबूर किसान की यह स्थिति देख गांव वालों के चेहरे भी रुहांसे हो जाते है, ऐसा नहीं है कि जिम्मेदारों को कुमेरसिंह की स्थिति के बारे में पता न हो सब कुछ जानकर भी जिम्मेदारों द्वारा उसकी किसी प्रकार की आर्थिक सहायता नहीं की गई। 

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वहीं कुमेरसिंह को कुदरत ने भी कम परेशान नहीं किया, तीन महीने पूर्व आंधी-तूफान के चलते उसका मकान ढह गया था, नया घर बनाने के लिए उसके पास फूटी पाई तक नहीं थी। बिना छत के घर में दो बेटियों व पत्नी के साथ रहना काफी मुश्किल हो गया था।कुमेर सिंह ने पंचायत से मदद भी मांगी, मकान बनाने के लिए इंदिरा आवास से लेकर प्रधानमंत्री आवास योजना तक सभी का लाभ लेने के लिए जिम्मेदारों के चक्कर काटे लेकिन कहीं से सहयोग नहीं मिला, ऐसे में गांव के ही लोगों ने कुमेर सिंह की मदद करने की ठानी। गांव के सभी लोगों ने मिलकर चंदा एकत्रित किया और उसके टूटे हुए मकान का काम आरम्भ करवाया। वर्तमान में कुमेरसिंह के मकान का काम भी चल रहा है। 

 

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