Edited By meena, Updated: 25 Aug, 2025 04:15 PM

2020 में कमलनाथ सरकार गिराने की ‘वजह’ को लेकर पूर्व सीएम कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बीच चल रहे कोल्ड वार ने प्रदेश की राजनीति गरमा दी है...
भोपाल : 2020 में कमलनाथ सरकार गिराने की ‘वजह’ को लेकर पूर्व सीएम कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बीच चल रहे कोल्ड वार ने प्रदेश की राजनीति गरमा दी है। ऐसे में जहां भाजपा इस मामले को लपक कर तंज कस रही है। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने आज भोपाल में प्रेस कॉन्फ्रेंस दोनों नेताओं की दोस्ती पर विश्वास जताया है और इन बातों को अर्थहीन बताया है। वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया को धोखेबाज बताया।
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पुरानी बातों का कोई औचित्य नहीं- जीतू
जीतू पटवारी ने कहा कि कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की 45 साल पुरानी दोस्ती है। दोनों के बीच अलग तरह की केमिस्ट्री है, उसे समझना आसान नहीं है। दोनों के पास कला है कि लोगों से कैसे चर्चा करवाएं। इसलिए उनकी चिंता न करें। इन बातों का कोई औचित्य नहीं है, हमें भविष्य देखना है। हमें पीछे की बातें नहीं करनी। अभी हमारा मुख्य फोकस राज्य में सरकार कैसे लानी है इस पर है।

सिंधिया को सजा मिलनी चाहिए
जीतू पटवारी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि जनता द्वारा चुनी हुई सरकार को ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गिराया। इसके लिए उन्हें सजा मिलनी चाहिए। सिंधिया ने जनादेश के साथ धोखा किया। इसके लिए उन्हें सजा मिलनी चाहिए।

क्या है मामला
पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने एक कार्यक्रम में तत्कालिन मुख्यमंत्री कमलनाथ को सरकार गिराने के लिए जिम्मेदार ठहराया है। दिग्विजय सिंह ने कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के कॉमन फ्रेंड बिजनेसमैन के घर हुई डिनर पार्टी का जिक्र करते हुए कहा कि उस पार्टी में एक समझौता हुआ था जिसके अनुसार, ग्वालियर चंबल के मुद्दों पर जो ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह जो तय करेंगे, उसका पालन होगा। लेकिन इसका पालन नहीं किया गया। इसकी वजह से सिंधिया नाराज हो गए और सरकार गिर गई। यानी दिग्विजय ने कमलनाथ का सिंधिया को संतुष्ट न कर पाना तत्कालीन सरकार गिरने की वजह बता दिया।
कमलनाथ की प्रतिक्रिया आई सामने
दिग्विजय सिंह के बयान के बाद कमलनाथ की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा कि मैं सिर्फ़ इतना कहना चाहता हूं कि पुरानी बातें उखाड़ने से कोई फ़ायदा नहीं। लेकिन यह सच है कि व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा के अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया को यह लगता था कि सरकार दिग्विजय सिंह चला रहे हैं। इसी नाराज़गी में उन्होंने कांग्रेस के विधायकों को तोड़ा और हमारी सरकार गिरायी।