Edited By meena, Updated: 14 Sep, 2020 06:28 PM
बालाघाट, मंडला, छिंदवाड़ा समेत कई जिलों में घटिया चावल के वितरण के बाद अब मध्य प्रदेश के बैतूल जिले से 100 टन फफूंद लगा चना छत्तीसगढ़ भेजने का मामला सामने आया है। इस बड़े खुलासे के साथ ही चने का भंडारण करने वाले एमपी लॉजिस्टिक वेयर हाउस कारपोरेशन की...
बैतूल: बालाघाट, मंडला, छिंदवाड़ा समेत कई जिलों में घटिया चावल के वितरण के बाद अब मध्य प्रदेश के बैतूल जिले से 100 टन फफूंद लगा चना छत्तीसगढ़ भेजने का मामला सामने आया है। इस बड़े खुलासे के साथ ही चने का भंडारण करने वाले एमपी लॉजिस्टिक वेयर हाउस कारपोरेशन की बड़ी लापरवाही भी उजागर हो गई है। बैतुल से छत्तीसगढ़ में गरीबों में बांटने के लिए भेजे जा रहे 100 टन चने को रास्ते से ही अधिकारियों ने जांच के बाद गोदाम में वापस भेज दिया। बैतूल वेयर हाउस कॉर्पोरेशन के प्रबंधक वासुदेव दबंड़े ने बताया कि चना चिचोली से लाया गया था।
दरअसल, चने की गुणवत्ता को लेकर ठेकेदार की शिकायत के बाद चने का सैंपल लिया गया था। जांच में चना घटिया क्वालिटी का निकला। इसलिए अधिकारियों द्वारा इसे नाफेड को सौंपा जाएगा। वहीं ट्रक ड्राइवर ने बताया कि यह चना हम छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर ले जा रहे थे। लेकिन चने के के भार में गड़बड़ी के संदेह के चलते वजन कराने के लिए रुके। कांटा कराने के दौरान जब चने को खोलकर देखा गया तो इसमें चने कम आटा ज्यादा निकला।
बताया जा रहा है कि साल 2018 में नाफेड ने बैतूल जिले के चिचोली सहित कई जगहों से समर्थन मूल्य पर चने की खरीद की थी। जिसे सरकारी और प्राइवेट वेयर हाउसों में रखवाया गया था। कोरोना काल में केंद्र सरकार के गरीबों को चने बांटे जाने के आदेश पर अब इसे छत्तीसगढ़ राज्य भेजा जा रहा था।