Edited By meena, Updated: 24 Nov, 2020 03:53 PM
लगभग एक सप्ताह पहले की बात है, जब देश के अलग अलग राज्यों में लव जिहाद पर कानून के मसले पर मंथन का दौर अपने चरम पर था। मध्यप्रदेश की गिनती इस कानून के समर्थक राज्यों में थी, लेकिन यह अन्य राज्यों की अपेक्षा सिर्फ इसलिए अलग था क्योंकि यहां पर कानून से...
भोपाल(हेमंत चतुर्वेदी): लगभग एक सप्ताह पहले की बात है, जब देश के अलग अलग राज्यों में लव जिहाद पर कानून के मसले पर मंथन का दौर अपने चरम पर था। मध्यप्रदेश की गिनती इस कानून के समर्थक राज्यों में थी, लेकिन यह अन्य राज्यों की अपेक्षा सिर्फ इसलिए अलग था क्योंकि यहां पर कानून से जुड़े वक्तव्य, उसके प्रारूप और उसकी जरूरत से जुड़े तर्क सीएम हाउस से नहीं बल्कि गृहमंत्री के बंगले से प्रसारित हो रहे थे। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा पहले सामने आकर एमपी में कानून बनाने का ऐलान करते हैं, दूसरे दिन इसके प्रारूप पर चर्चा करते हैं, और तीसरी दिन की प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसका प्रारूप फाइनल भी कर देते हैं।
इस दौरान कहीं से कहीं तक ये खबर सामने भी नहीं आई, कि संबंधित कानून पर कैबिनेट में मंथन हुआ हो, या सीएम शिवराज के साथ गृहमंत्री ने कोई विशेष चर्चा की हो। यहां खुद नरोत्तम ही प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय मीडिया की पिच पर अकेले खेलते नजर आए। यह तस्वीर जब सामने आई, तो प्रदेश में सीएम के रसूख पर ही सवाल उठने लगे, जिसके बाद सीएम हाउस से खबर आई, कि अति व्यस्तता के कारण सीएम शिवराज इस विषय में ज्यादा विचार नहीं कर सके, अब वह अपने स्तर पर कानून की जरूरत पर मंथन करेंगे और इसका फाइनल ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा।
सीएम हाउस के बेहद ही आंतरिक सूत्रों की मानें, तो लव जिहाद पर नरोत्तम मिश्रा का यह स्टैंड सीएम शिवराज को काफी नागवार गुजरा, लेकिन नरोत्तम पर पार्टी हाईकमान की सुदृष्टि उन्हें यह नाराजगी जाहिर करने से रोके रही। सूत्रों का तो यहां तक कहना है, कि छपास की इस दौड़ में नरोत्तम को पछाड़ने के लिए सीएम शिवराज ने एकाएक गौ कैबिनेट के गठन का ऐलान कर दिया, हालांकि इस खबर में कितनी सच्चाई है यह तो सीएम ही जानें।
अब जरा आजकल सामने आ रही तस्वीरों पर गौर कीजिए, किस तरह एक वेब सीरिज को लेकर मध्यप्रदेश सरकार खासकर गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा का रुख भोपाल से लेकर दिल्ली की मीडिया में चर्चा का विषय बना हुआ है। मीडिया का आकर्षण हासिल करने में महारथी नरोत्तम ने संघ और बीजेपी की लाइन को आगे बढ़ाते हुए इस वेब सीरिज को लेकर ऐसा माहौल तैयार कर दिया, जो अमूमन मध्यप्रदेश के संदर्भ में कभी भी राष्ट्रीय परिदृश्य में नजर नहीं आया, और इस गंभीर मसले को लेकर भी नरोत्तम मीडिया के हीरो बने हुए हैं।
अंत में कहा जा सकता है कि कई बातें ऐसी होती हैं, जो न तो खुलकर की जाती और न उन्हें सार्वजनिक स्तर पर लिखा जाता हैं, लेकिन उनके बारे में पता सबको रहता है। पिछले लगभग 5 सालों से मध्यप्रदेश में एक बहस के साथ यह मसला हर किसी की जुबां पर था, और सीएम शिवराज द्वारा खुद के पास जनसंपर्क मंत्रालय रखना इस बहस को खत्म करने की ही कोशिश था। लेकिन इसके बाद भी मीडिया के हीरो अभी भी नरोत्तम ही बने हुए हैं, जो प्रदेश के मुखिया को काफी हद तक रास नहीं आ रहा।