अनुसूचित जाति से ब्याह कर लाए बहू तो समाज ने किया बहिष्कार! बकरा खिलाने और 31 हजार रुपए का लगाया जुर्माना

Edited By meena, Updated: 21 Feb, 2025 06:51 PM

society boycotted for marrying into scheduled caste

कहने को तो हम डिजिटल युग में जी रहे हैं किंतु आज भी समाज के कुछ लोग अभी भी रूढ़िवादी परंपराओं का बोझा अपने सिर ढो रहे हैं...

बालाघाट (हरीश लिलहरे) : कहने को तो हम डिजिटल युग में जी रहे हैं किंतु आज भी समाज के कुछ लोग रूढ़िवादी परंपराओं का बोझा अपने सिर ढो रहे हैं। जिसमें किसी को भी समाज से बहिष्कृत करने की रूढ़िवादी परंपरा शामिल है। मामला बालाघाट नगर से लगे ग्राम गर्रा का है। यहां निवास करने वाले एक परिवार ने समाज से बहिष्कृत करने की शिकायत मानव अधिकार आयोग मित्र और सामाजिक कार्यकर्ता फिरोजा खान से की है।

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पीड़ित श्रीराम मालाधारी ने बताया कि वे पाटन जबलपुर के उपजेल में प्रधान आरक्षक के पद पर पदस्थ है। श्रीराम के अनुसार उसने अपने पुत्र विशाल मालाधारी का विवाह ग्राम कोसमी निवासी एससी समाज की पूजा मेश्राम के साथ 15 फरवरी को संपन्न करवाया था। पीड़ित श्रीराम ने बताया कि जब वे विवाह के पूर्व शादी की पत्रिका बांट रहा था। तब गर्रा गांव के उनके समाज के लोग यह कहकर विरोध दर्ज कर रहे थे कि अपने समाज की लड़की न मांगते हुए बेटे के लिए मेश्राम परिवार की बहू मांग रहा है। इस तरह की बातें कहते हुए मीटिंग बुलाने और 31 हजार रुपए का जुर्माना देने की मांग की गई। इसके अलावा समाज में उन्हें वापस लेने के नाम पर भी समाज जनों को बकरा खिलाने की मांग रख दी। ऐसा न करने पर शादी में शामिल नहीं होने और समाज से बहिष्कृत करने की बात कही गई। इतना ही नहीं लोग उनके घर हुए विवाह कार्यक्रम में शामिल भी नहीं हुए। इस कारण पीड़ित परिवार का मानना है कि उनकी मान प्रतिष्ठा धूमिल हुई है जिससे मानसिक रूप से प्रताड़ित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने पूरे मामले की जांच करवाकर न्याय दिलाए जाने की मांग की है।

वहीं मानव अधिकार आयोग मित्र फिरोजा खान ने बताया कि ऐसे मामले गैरकानूनी है। इसके लिए प्रिवेंशियन ऑफ सोशल डिस्पेरिटी एक्ट बना हुआ है जिसमें सजा का प्रावधान है।

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