बालाघाट को मिलेगी नई पहचान, सारस लैंड के नाम से जाना जाएगा MP का ये जिला

Edited By Vikas kumar, Updated: 21 Jun, 2020 04:00 PM

balaghat will get new identity this district of mp will be known as crane land

इंडियन क्रेन अथवा क्रोच पक्षी के नाम से विख्यात सारस पक्षी ने जिले में नया घरौंदा बनाकर बालाघाट को एक और पहचान दी है। पर्यावरण एवं वन्य जीव संरक्षण तथा संवर्धन के लिए कार्यरत संस्था ...

बालाघाट: इंडियन क्रेन अथवा क्रोच पक्षी के नाम से विख्यात सारस पक्षी ने जिले में नया घरौंदा बनाकर बालाघाट को एक और पहचान दी है। पर्यावरण एवं वन्य जीव संरक्षण तथा संवर्धन के लिए कार्यरत संस्था सेवा गोंदिया के अध्यक्ष सावन बहेकार ने जानकारी दी कि दिनांक 13 से 18 जून 2020 तक गोंदिया जिले में 23 टीमें तथा बालाघाट जिले में 21 टीमें बनाकर सारस की गणना की गई। यह सभी टीमें प्रतिदिन सुबह 5:00 बजे से 10:00 बजे तक विभिन्न स्थानों में प्रत्यक्ष रूप से जाकर सारस के विश्राम स्थलों पर सारस गणना करती थीं। 

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जिले में बालाघाट टूरिज्म प्रमोशन काउंसिल, वन विभाग एवं वन्य प्राणी संरक्षण एवं संवर्धन से जुड़े कृषक एवं स्वयंसेवी लोग इस कार्य में लगे रहे। सेवा संस्था के सदस्य पूरे वर्ष भर सारस के विश्राम स्थल प्रजनन अधिवास तथा भोजन के लिए प्रयुक्त भ्रमण पद का अभ्यास किया जाता है। साथ ही सारस के अधिवास एवं उनके आसपास रहने वाले किसानों को सारस का महत्व बताकर उसके संरक्षण एवं संवर्धन के लिए प्रेरित किया जाता है। बाघ एवं वैनगंगा नदी, महाराष्ट्र मध्य प्रदेश के गोंदिया तथा बालाघाट जिलों को विभाजित करती है। भौगोलिक दृष्टिकोण से नदी के दोनों ओर के प्रदेश की जैव विविधता में काफी समानता पाई जाती है। अतः कुछ सारस के जोड़े अधिवास तथा भोजन के लिए दोनों ओर के प्रदेशों में समान रूप से विचरण करते पाए जाते हैं। सीमाओं का बन्धन उनके लिए मायने नहीं रखता है। जो मनुष्य के लिए अच्छा सबक है। कार्यालय कलेक्ट्रेट बालाघाट में सारस गणना के परिणामों को कलेक्टर दीपक आर्य द्वारा घोषित किया गया। जिसमें गोंदिया जिले में 45 से 47 एवं बालाघाट जिले में 56 से 58 सरसो की गणना की गई। कलेक्टर दीपक आर्य ने बताया कि जो परिणाम आए हैं उसमें सेवा संस्था वन्य जीव संरक्षण से जुड़े लोग एवं जिले के जागरूक कृषकों के कारण इनकी संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। जो सारस के लिए एक अच्छे संकेत हैं। जिससे जिले का नाम सारस लैंड के नाम से भी जाना जाएगा।

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कार्यक्रम के अंत में कलेक्टर दीपक आर्य ने सारस संरक्षण से जुड़ी संस्था एवं सभी व्यक्तियों का आभार प्रकट किया। उन्होंने सभी लोगों से अपील की, कि सारस संरक्षण हेतु जागरूकता अभियान चलाया जाए। ताकि जिले में इनकी संख्या ओर अधिक हो सके। कार्यक्रम में कलेक्टर दीपक आर्य द्वारा सारस संरक्षण हेतु तैयार किए गए पोस्टर का विमोचन किया तथा गणना के दौरान खींची गई फोटो का भी विमोचन किया गया।

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