दीपक बैज बोले- साय सरकार ने केंद्र से चावल का कोटा बढ़ाने का अनुरोध नहीं किया, इसलिए 3100 रू. का धान 2000 रू. में बिकेगा

Edited By meena, Updated: 03 May, 2025 09:48 AM

deepak baij accused the government regarding paddy procurement

भाजपा जब विपक्ष में थी तो डबल इंजन की सरकार के फायदे का बड़ा-बड़ा दावा करती थी...

रायपुर: भाजपा जब विपक्ष में थी तो डबल इंजन की सरकार के फायदे का बड़ा-बड़ा दावा करती थी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि राज्य सरकार के द्वारा समर्थन मूल्य में 3100 रू. क्विंटल में खरीदा गया धान 2000 रू. क्विंटल में नीलाम करना पड़ेगा। डबल इंजन की सरकार की हकीकत सामने आ रही केंद्र सरकार राज्य का पूरा चावल नहीं खरीद रही है। राज्य सरकार को किसानों से खरीदे धान को खुले बाजार में बेचना पड़ रहा है। इस वर्ष राज्य सरकार ने 154 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी समर्थन मूल्य पर किया है। केंद्र की मोदी सरकार पूरे 154 लाख मीट्रिक टन से बनाये गये चावल को सेंट्रल पुल में नहीं खरीद रही है। अब राज्य सरकार 3100 रू. प्रतिक्विंटल में खरीदे गए धान को खुले बाजार में 2000 से 2100 रू. प्रतिक्विंटल का रेट आ रहा, जिससे राज्य के खजाने का 6000 करोड़ रू. से अधिक का नुकसान होगा। यह है भाजपा के डबल इंजन की सरकार का नुकसान।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि भाजपा डबल इंजन की सरकार का दंभ भरती है यदि राज्य सरकार के द्वारा कुल उपार्जित धान के द्वारा बने चावल को केंद्र सरकार सेंट्रल पुल में नहीं खरीद रही है तो ऐसी डबल इंजन की सरकार का राज्य की जनता को क्या फायदा? बेहद दुर्भाग्यजनक है कि केंद्र व राज्य में भाजपा की सरकार होने के बावजूद मुख्यमंत्री और राज्य के मंत्री गण, भाजपा के सांसद कोई भी छत्तीसगढ़ के चावल के कोटे को बढ़ाने का एक बार भी आग्रह मोदी सरकार से करने का साहस नहीं दिखाया। राज्य सरकार ने प्रधानमंत्री कार्यालय को राज्य का कोटा बढ़ाने का कोई औपचारिक आग्रह भी किया होगा, ऐसा प्रतीत नहीं हो रहा। राज्य के खजाने का 6000 करोड़ बचाने का कोई प्रयास नहीं किया है। मुख्यमंत्री और खाद्य मंत्री बताये कितनी बार केन्द्र सरकार से कितनी बार सेंट्रल पुल के चावल कोटा बढ़ाने के लिये पत्राचार किया यदि किया है तो उसको सार्वजनिक करें।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि ज्यादा भाव 3100 में खरीद कर 2000 से 2100 क्विंटल में धान बेचे जाने के पीछे भाजपा सरकार भ्रष्टाचार भी कर रही है। सरकार धान बेचने के लिये व्यापक और अंतरराज्यीय टेंडर भी नहीं मंगवाई है। यदि देशव्यापी नीलामी करवाती तो शायद कुछ अधिक कीमत भी मिलती। इस नीलामी के पीछे कमीशन खोरी का खेल होगा।

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