Edited By Vikas kumar, Updated: 28 Aug, 2019 01:17 PM
मध्य प्रेदश के बड़े शहरों में लंबे समय से कमिश्नर प्रणाली लागू करने की मांग उठ रही है। मंगलवार को एक बार फिर मप्र के आईपीएस एसोसिएशन ने पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने की मांग मुख्यमंत्री से की है। वहीं गृह विभाग भी इस मामले पर गंभीर दिख रहा है..
भोपाल: मध्य प्रदेश के बड़े शहरों में लंबे समय से कमिश्नर सिस्टम लागू करने की मांग उठ रही है। मंगलवार को एक बार फिर मप्र के आईपीएस एसोसिएशन ने पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने की मांग मुख्यमंत्री से की है। वहीं, गृह विभाग भी इस मामले पर गंभीर दिख रहा है।
मध्य प्रदेश के आईपीएस एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने मंगलवार को सीएम कमलनाथ से मंत्रालय में मुलाकात की। इन्होंने भोपाल और इंदौर में कमिश्नर सिस्टम लागू करने की मांग की। एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय यादव ने सीएम को बताया कि इस सिस्टम से पुलिस को मजबूती मिलेगी। सीएम कमलनाथ ने भी इस मसले को गंभीरता से लिया और पुलिस कमिश्नर सिस्टम को लेकर आश्वासन भी दिया है।
आईपीएस अफसरो की मांगे
मप्र के आईपीएस अफसरों ने कुछ और मांगे भी सीएम कमलनाथ के सामने रखीं। प्रतिनिधिमंडल ने 1987 बैच के आईपीएस अधिकारियों को पुलिस महानिदेशक वेतनमान और 1994 बैच के अधिकारियों को अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक के पद पर प्रमोशन और मूलवेतन के प्रतिशत के अनुसार जोखिम भत्ता देने की मांग रखी है। गृहमंत्री बाला बच्चन ने कहा कि पुलिस कमिश्नर सिस्टम को लेकर मंथन जारी है और सीएम कमलनाथ खुद इस मसले पर विचार कर रहे हैं।
पुलिस कमिश्नर सिस्टम
पुलिस कमिश्नर सिस्टम में पिरामिड में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक एडीजी स्तर के अधिकारी को पुलिस कमिश्नर बनाया जाएगा। साथ ही उसके नीचे दो ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर बनाए जा सकते हैं जो आईजी स्तर के होंगे। पिरमिड में एडिशनल पुलिस कमिश्नर होंगे, जिसकी जिम्मेदारी डीआईजी स्तर अफसरों को मिलेगी। इसी तरह पुलिस डिप्टी पुलिस कमिश्नर एसपी स्तर के होंगे।
जनता पर 6 फीसदी सिस्टम होगा लागू
IPS अफसर एसोसिएशन ने जो प्रस्ताव सरकार के सामने रखा है उसमें मध्यप्रदेश की कुल आबादी में से केवल 5.6 फीसदी पर ही ये सिस्टम लागू होगा। प्रदेश की सात करोड़ 26 लाख आबादी में से भोपाल की 18.86 लाख और इंदौर की 21.93 लाख आबादी है। भोपाल की आबादी प्रदेश की कुल आबादी का 2.59 प्रतिशत है और इंदौर की आबादी 3.01 प्रतिशत है। सीएम से मिलने के बाद आईपीएस एसोसिएशन को उम्मीद जागी है कि कमलनाथ सरकार उनकी बात सुनेगी।