धमधा का घोटवानी धान केंद्र बना ‘भ्रष्टाचार का अड्डा’! बच्चों से मजदूरी, वजन घोटाला और रिश्तेदारी की पोल खुली

Edited By Himansh sharma, Updated: 04 Dec, 2025 10:41 AM

dhamdha s ghotwani paddy center has become a hub of corruption

धान खरीदी शुरू होते ही किसानों की निगाहें सोसाइटी पर टिक जाती हैं

धमधा। (हेमंत पाल): धान खरीदी शुरू होते ही किसानों की निगाहें सोसाइटी पर टिक जाती हैं, लेकिन घोटवानी धान खरीदी केंद्र में जो दृश्य सामने आया, उसने पूरे क्षेत्र को हिला दिया। यहाँ नियम-कानून को ताख पर रखकर ठेकेदार और समिति अध्यक्ष खुलेआम मनमानी करते दिख रहे हैं।

बच्चों से कराया जा रहा है काम  20 रुपये रोज़, वीडियो वायरल

मीडिया टीम के पहुँचते ही स्कूली बच्चे बारदाना उठाते और तौल में हाथ बँटाते दिखाई दिए। कैमरा देखते ही बच्चे भागने लगे। पूछताछ में उन्होंने बताया “हम पाँच दिन से काम कर रहे हैं, रोज़ 20 रुपये मिलता है।”

यह श्रम कानून का सीधा उल्लंघन है। घटना का वीडियो सोशल मीडिया में तेजी से फैल गया है।

समिति अध्यक्ष का परिवारवाद पोते को बिना संविदा ऑपरेटर बनाया

समिति अध्यक्ष डॉ. रघुनंदन वर्मा द्वारा अपने पोते को बिना संविदा और बिना प्रक्रिया के कंप्यूटर ऑपरेटर बनाकर बैठाने का मामला भी सामने आया है।

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किसानों का कहना है

“यहाँ भर्ती नहीं, सिर्फ रिश्तेदारी चलती है।”

वजन में बड़ा खेल – 41–42 किलो लेना, लेकिन निकल रहा 38–39 किलो

मानक के अनुसार प्रति बोरी 40 किलो + 700 ग्राम लेना चाहिए, लेकिन केंद्र पर किसानों से 41.200 से 42 किलो तक वजन लिया जा रहा था। जब ‘तोड़ वजन’ करवाया गया तो वही बोरी 38–39 किलो मिली।

सबका यही सवाल 2-3 किलो धान आखिर जा कहाँ रहा है?

SDM सोनम डेविड का औचक निरीक्षण गड़बड़ी रंगे हाथ पकड़ी गई
शिकायत पर धमधा SDM सोनम डेविड केंद्र पहुँचीं।

तौल मशीन से वजन करवाते ही सामने आया वही 38-39 किलो का कम वजन।

पूछने पर ठेकेदार संतोष वर्मा ने गोलमोल जवाब दिया
“हम इतना ही लेते हैं।”
लेकिन वीडियो और किसानों की बात उससे उलट कहानी बता रहे हैं।

समिति प्रबंधक का बचाव लेकिन जवाबों में घबराहट साफ

समिति प्रबंधक विष्णु प्रसाद साहू लगातार कहते रहे

“हमारे यहाँ ऐसा नहीं हो रहा…”लेकिन मौके की स्थिति, वीडियो और SDM की मौजूदगी ने उनके बयान पर सवाल खड़े कर दिए।
सवालों पर उनका रवैया टालमटोल भरा दिखा।

PunjabKesariटेंडर प्रक्रिया पर भी सवाल – करीबी को दिया गया ठेका

ग्रामीणों के अनुसार टेंडर प्रक्रिया में भी धांधली की गई। समिति अध्यक्ष ने अपने करीबी ठेकेदार संतोष वर्मा को ही ठेका दे दिया और कई योग्य आवेदकों को तकनीकी कमी बताकर बाहर कर दिया। यानी शुरुआत से ही मामला संदिग्ध था।

अब बड़ा सवाल…

क्या ऐसे ‘भ्रष्ट, लापरवाह और मनमाने’ समिति अध्यक्ष और ठेकेदार पर कार्रवाई होगी?  बाल मजदूरी, वजन घोटाला, रिश्तेदारों की नियुक्ति और टेंडर में गड़बड़ी

सारी बातें साफ उजागर हैं।

अब किसान इंतज़ार कर रहे हैं कि कार्रवाई होगी या फिर यह मामला भी फाइलों में दफन हो जाएगा।

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