Edited By Himansh sharma, Updated: 01 Sep, 2025 06:37 PM

छत्तीसगढ़ के दुर्ग से बीते हफ्ते प्रकाशित हुई हमारी रिपोर्ट "शिक्षक बने हर्बल गुरु" ने पूरे दुर्ग जिले में शिक्षा व्यवस्था की वास्तविकता को उजागर किया था।
दुर्ग। (हेमंत पाल): छत्तीसगढ़ के दुर्ग से बीते हफ्ते प्रकाशित हुई हमारी रिपोर्ट "शिक्षक बने हर्बल गुरु" ने पूरे दुर्ग जिले में शिक्षा व्यवस्था की वास्तविकता को उजागर किया था। रिपोर्ट में बताया गया कि कैसे सरकारी शिक्षक कक्षा छोड़कर हर्बल लाइफ जैसे मल्टी लेवल मार्केटिंग (MLM) बिजनेस में लिप्त हैं, और स्कूल समय में ही वेलनेस कोच बनकर फिटनेस फॉर्मूले बेच रहे हैं।
अब इस खबर के बाद जिला शिक्षा अधिकारी ने सभी विकासखंड शिक्षा अधिकारियों (BEO) को जांच के निर्देश जरूर दिए हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कार्रवाई अभी भी शून्य है।
जब बीईओ ही टालने लगे सवाल…
हमने धमधा के बीईओ अथर्व शर्मा से संपर्क किया, ताकि जान सकें कि क्या उनके क्षेत्र में भी ऐसी शिकायतें हैं। लेकिन उन्होंने न सिर्फ बात करने से इनकार किया, बल्कि स्पष्ट जानकारी देने से भी बचते दिखे।
ऐसे में सवाल उठता है – क्या अधिकारी खुद इन शिक्षकों की MLM गतिविधियों से वाकिफ हैं, या फिर कोई ‘समझौता’ है?
MLM या शिक्षा – कौन है असली पेशा?
जांच के नाम पर सिर्फ आदेश देना और फिर फाइलों में दबा देना, क्या यही व्यवस्था रह गई है? बच्चों की पढ़ाई लगातार प्रभावित हो रही है। कई स्कूलों में शिक्षक क्लास में नहीं जाते, बल्कि स्टाफ रूम या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर "प्रोटीन शेक की रेसिपी", "फैट लॉस टिप्स", और "बिजनेस प्लान" समझाते हैं।
स्कूल एकेडमिक कैलेंडर, टाइम टेबल और लेसन प्लान सब कुछ ठप हो चुका है, लेकिन शिक्षक अपने व्हाट्सएप स्टेटस और इंस्टाग्राम लाइव में पूरी तरह एक्टिव हैं।

जनता का सवाल: शिक्षक पढ़ाएंगे या सामान बेचेंगे?
इस खबर के बाद कई अभिभावकों ने सोशल मीडिया और स्थानीय समूहों में नाराजगी जाहिर की है। एक अभिभावक का कहना है, हमने बच्चों को स्कूल इसलिए भेजा कि वो पढ़े-लिखे अच्छा इंसान बनें, न कि हर्बल कोच की मीटिंग का शोर सुनें।"
मांग – सिर्फ जांच नहीं, सस्पेंशन हो
स्थानीय शिक्षाविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि ऐसे शिक्षकों पर केवल जांच ही नहीं, तत्काल निलंबन (सस्पेंशन) और नियमित निगरानी होनी चाहिए। साथ ही, जो शिक्षक MLM में सक्रिय हैं, उन्हें शिक्षा विभाग की सेवा शर्तों के उल्लंघन पर कार्मिक अनुशासनात्मक कार्रवाई के दायरे में लाया जाए।
कब जागेगा शिक्षा विभाग?
शिक्षा विभाग को अब यह समझना होगा कि एक शिक्षक सिर्फ एक सरकारी कर्मचारी नहीं होता – वह समाज का मार्गदर्शक होता है। यदि वही दिशा भटक जाए, तो पीढ़ियाँ अंधकार में चली जाती हैं।