Edited By Vikas kumar, Updated: 30 Jul, 2019 04:54 PM

गरीब सवर्ण वर्ग की सीटों पर डाका डाल कर पैसे कमाने वाले निजी मेडिकल और डेंटल कॉलेजों पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में लगी एक जनहित याचिका के बाद संकट के बादल मंडराने लगे हैं।...
जबलपुर (विवेक तिवारी): गरीब सवर्ण वर्ग की सीटों पर डाका डाल कर पैसे कमाने वाले निजी मेडिकल और डेंटल कॉलेजों पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में लगी एक जनहित याचिका के बाद संकट के बादल मंडराने लगे हैं। हाईकोर्ट में वरिष्ठ पत्रकार राहुल मिश्रा ने जनहित याचिका दायर की थी की निजी डेंटल और मेडिकल कॉलेज सवर्ण वर्ग के लिए लागू 10 फीसदी आरक्षण का पालन नही कर रहे हैं। जबकि EWS को केंद्र सरकार के द्वारा 10 फीसदी का आरक्षण लागू कर दिया गया है, इसके बावजूद हुई पहली काउंसलिंग में इसका लाभ गरीब सवर्ण वर्ग को नही मिला।

याचिका पर सुनवाई करते हुए एक्टिंग चीफ जस्टिस आर एस झा और विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बैंच ने इस मामले को गंभीरता से सुना और केंद्र सरकार, राज्य सरकार, एमसीआई, डीएमई व प्रदेश के 20 निजी मेडिकल व डेन्टल कॉलेजों को नोटिस जारी कर पूछा, कि आखिर 10 फीसदी आरक्षण का लाभ क्यों नही दिया जा रहा है इस मामले पर 4 हफ्ते में जवाब मांगा गया है, याचिकाकर्ता पत्रकार राहुल मिश्रा की ओर से अधिवक्ता ब्रह्मानंद पांडे ने अपनी दलील रखी।
पहले राउंड में ही आरक्षण को दरकिनार...
हाईकोर्ट में दायर इस याचिका में बताया गया है, कि निजी डेंटल और मेडिकल कॉलेजों ने पहली कॉउंसलिंग से ही गरीब सर्वणों को आरक्षण का न लाभ दिया और न ही कोई सीटें सवर्ण वर्ग के लिए रिक्त रखी गई, याचिका कर्ता ने निजी कॉलेजों के इस पक्षपात रवैये को देखते हुए जब दूसरी काउंसलिंग हुई और तब भी गरीब सवर्ण को लाभ न मिला तब माननीय न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

आखिर कैसे होता है सारा खेल
मेडिकल पेशे में बढ़ती हुई प्रतियोगिता को देखते हुए निजी मेडिकल कॉलेजों ने पैसे कमाने के लिए अलग रास्ते को तलाश लिया है, उन्होंने 10 फीसदी सीट जो की गरीब सवर्ण के लिए रखी गयी, उनको सिर्फ सामान्य कोटे में शामिल किया है और इन सीटों पर मनमाफिक फीस लेकर प्रवेश दिया जा रहा है, अब जबकि याचिका में इन बातों का खुलासा हो चुका है तो ये सभी कॉलेज मुसीबत में घिर चुके हैं।