Edited By Vikas kumar, Updated: 13 Sep, 2019 06:43 PM
लोकसभा चुनाव से पहले कमलनाथ सरकार ने मप्र में ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण देने का दांव चला था। लेकिन अदालत में इस मामले को लेकर अब सरकार की उलझन बढ़ती दिख रही है। जबलपुर उच्च न्यायालय ने सरकार के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए...
जबलपुर: लोकसभा चुनाव से पहले कमलनाथ सरकार ने मप्र में ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण देने का दांव चला था। लेकिन अदालत में इस मामले को लेकर अब सरकार की उलझन बढ़ती दिख रही है। जबलपुर उच्च न्यायालय ने सरकार के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दो हफ्ते के अंदर जवाब मांगा है। अदालत ने इस बात पर ऐतराज जताया है कि मप्र सरकार ओबीसी आरक्षण के मामले पर अपना रुख साफ नहीं कर रही है।
दरअसल, जबलपुर हाईकोर्ट ने शुक्रवार को ओबीसी आरक्षण मामले पर सुनवाई के दौरान सरकार के रवैये पर नाराजगी प्रकट की है। कोर्ट ने कहा कि इस मामलने में सरकार का रुख साफ नजर नहीं आ रहा है। बता दें ऐसा इसलिए है जबलपुर हाईकोर्ट से लागातार जवाब मांगे जाने के बावजूद सरकार ने अब तक अपना जवाब पेश नहीं किया है। हाईकोर्ट ने सरकार को जवाब पेश करने के लिए दो हफ्तों का समय दिया है। हाईकोर्ट ने हिदायत दी है कि यदि सरकार जवाब पेश नहीं करती है तो याचिकाकर्ताओं को अंतरिम राहत देने पर हाईकोर्ट विचार कर सकता है।
उलझन में है राज्य सरकार
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं का कहना है कि मध्य प्रदेश में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला कर राज्य सरकार खुद उलझ गई है। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ निर्देश दिए हैं कि किसी भी राज्य में एसटी-एससी और ओबीसी को 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जा सकता। ऐसे में राज्य सरकार हाईकोर्ट में जवाब पेश करने से बच रही है।