रेप के आरोपी कांस्टेबल को बचाने के लिए सीनियर अफसरों ने DNA सैंपल से की छेड़छाड़! भड़का कोर्ट, कहीं दूर पोस्टिंग के आदेश

Edited By meena, Updated: 04 May, 2022 04:14 PM

high court strict on adg sp and civil surgeon who tampered with evidence

मामले में बड़ा फेरबदल करते हुए भ्रूण को नॉरमल सलाइन की बजाय फॉर्मलीन में संरक्षित कर दिया गया था जिससे भ्रूण की DNA जांच नहीं हो पाई और मामले का सबसे महत्वपूर्ण साक्ष्य नष्ट हो गया। हाईकोर्ट में माना कि भ्रूण को जानबूझकर फॉर्मलीन में संरक्षित किया...

छिंदवाड़ा(साहुल सिंह): छिंदवाड़ा में दो पुलिस अधिकारियों और एक सिविल सर्जन पर हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई है और उनका ट्रांसफर कहीं दूर कर दिया है। आरोप है कि अधिकारियों ने आदिवासी युवती से दुष्कर्म के आरोपी एक पुलिस आरक्षक को बचाने के लिए साक्ष्य नष्ट किए हैं। कोर्ट ने आरोपी एडीजी उमेश जोंगा और पुलिस अधीक्षक विवेक अग्रवाल एवं सिविल सर्जन डॉ शेखर सुराणा को कहीं दूर ट्रांसफर करने के आदेश जारी किए हैं। ताकि वे गवाहों पर दबाव न बना सके और जांच प्रभावित न हो।

ये है पूरा मामला
घटना 13 नवंबर 2021 की है जहां एक आदिवासी युवती ने सिटी कोतवाली में पदस्थ आरक्षक अजय साहू पर बलात्कार का आरोप लगाया था। आरोप है कि गर्भवती हो जाने के बाद पुलिस अभिरक्षा में हुए गर्भपात से प्राप्त भ्रूण को जिला अस्पताल में पदस्थ डॉक्टरों द्वारा सुरक्षित रूप से प्रिजर्व किए जाने को लेकर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। इस संबंध में हाई कोर्ट द्वारा जारी दिशा निर्देशों का सही ढंग से पालन न किए जाने पर भी पुलिस विभाग को दोषी माना गया है।

PunjabKesari

इस मामले में बड़ा फेरबदल करते हुए भ्रूण को नॉरमल सलाइन की बजाय फॉर्मलीन में संरक्षित कर दिया गया था जिससे भ्रूण की DNA जांच नहीं हो पाई और मामले का सबसे महत्वपूर्ण साक्ष्य नष्ट हो गया। हाईकोर्ट में माना कि भ्रूण को जानबूझकर फॉर्मलीन में संरक्षित किया गया था जबकि डॉक्टरों को यह पता था कि फॉर्मलीन में रखने के बाद DNA जांच नहीं हो सकती है। मामले में जब ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टरों और सिविल सर्जन से पूछा गया तो उन सबके बयान भी अलग अलग पाए गए।
मामले को गंभीरत जांच करने के बाद

हाईकोर्ट ने पुलिस को मामले क गंभीरता से लेने की बात कही और जांच के आदेश दिए गए थे। परंतु तत्कालीन एडीजी उमेश जोंगा और पुलिस अधीक्षक विवेक अग्रवाल ने मामले को बेहद हल्के में लिया और जांच के नाम पर महज औपचारिकता निभाते हुए रिपोर्ट पेश कर दी। जांच रिपोर्ट में भी कई विसंगतियां पाई गई। जांच में महत्वपूर्ण तत्वों पर और गवाहों के बयान पर ध्यान नहीं दिया गया। इसे लेकर हाई कोर्ट का कहना है कि आरोपी पुलिस में आरक्षक है, इसलिए विभाग उसे बचाने की कोशिश कर रहा है। इसलिए हाई कोर्ट ने एडीजी उमेश जोंगा, एसपी विवेक अग्रवाल और सिविल सर्जन शिखर सुराणा को जिले से बाहर कहीं दूर पदस्थ करने के आदेश जारी किए है, ताकि वो जांच में साक्ष्य को प्रभावित ना कर सकें।

वहीं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि हमने भ्रूण को नॉरमल सलाइन में ही सुरक्षित किया था। यह कब और किस स्तर पर परिवर्तित हो गया, यह जांच का विषय है। हमने अपने बयान में भी बताया है कि अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर में फॉर्मलीन रखा ही नहीं जाता तो उसमें भ्रूण को संरक्षित करने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता। सिविल सर्जन का कहना है कि यह गड़बड़ी फॉरेंसिक लैब, पुलिस विभाग और अस्पताल तीनों जगह में से किसी एक स्थान पर हो सकती है। इसलिए इस प्रकरण में गड़बड़ी कहां हुई है यह एक जांच का विषय है।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!