IAS अफसर पत्नी सहित सरकारी अस्पताल में हुए भर्ती, बोले- यहां की टीम व सुविधाएं बेहतर

Edited By meena, Updated: 03 Oct, 2020 04:33 PM

ias officer isolates himself in government hospital

जब कोई व्यक्ति बीमार होता है और उससे सरकारी अस्पताल चलने का बोला जाता है तब सरकारी अस्पताल का नाम सुनते ही उसके मन-मष्तिस्क में उभरने वाली सरकारी अस्पताल की छवि उसके चेहरे पर चिंताओं की लकीरें बना देती हैं। अगर वो सक्षम होता है तो वह प्राइवेट...

भोपाल(इज़हार हसन खान): जब कोई व्यक्ति बीमार होता है और उससे सरकारी अस्पताल चलने का बोला जाता है तब सरकारी अस्पताल का नाम सुनते ही उसके मन-मष्तिस्क में उभरने वाली सरकारी अस्पताल की छवि उसके चेहरे पर चिंताओं की लकीरें बना देती हैं। अगर वो सक्षम होता है तो वह प्राइवेट अस्पताल की तरफ भागता है। लेकिन अब ऐसा ऐसा नही है सरकारी अस्पताल और उनका स्टाफ भी कई बार साबित कर चुका है कि वह किसी भी स्तर पर प्राइवेट हॉस्पिटल से कम नहीं है बल्कि कई स्तर पर बेहतर साबित हुए हैं। लोगों की सरकारी अस्पताल को लेकर अवधारणा को गलत साबित करने के लिए मध्य प्रदेश के एक वरिष्ठ आईएएस ने खुद के और अपनी पत्नी के कोविड 19 से पॉजिटिव होने के बाद प्राइवेट अस्पताल में भर्ती होने के बजाय सरकारी अस्पताल को चुना और अपने इस निर्णय के लिए उन्होंने सरकारी अस्पताल की चिकित्सकों की टीम और सुविधाओं को सर्वश्रेष्ठ बताया और यह बात उन्होंने ट्वीट कर सभी से शेयर भी की।

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दरअसल मध्य प्रदेश के वरिष्ठ आईएएस और जनसंपर्क विभाग के प्रमुख सचिव शिव शेखर शुक्ला और उनकी पत्नी पिछले दिनों कोविड 19 से संक्रमित पाए गए थे। जब अस्पताल में भर्ती होने की बारी आई तो उन्होंने भौपाल के प्राइवेट अस्पताल की बजाय भौपाल के सरकारी अस्पताल गांधी मेडिकल कालेज को चुना और ट्वीट कर यह बात सभी से साझा की। शुक्ला ने ट्वीट में लिखा कि "मैं एवं मेरी पत्नी कोविड संक्रमित होने के पश्चात गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल में पिछले पांच दिनों से भर्ती हूं। निजी अस्पतालों में इलाज की सुविधा होने के बावजूद हमने सरकारी मेडिकल कॉलेज में इलाज कराना बेहतर समझा क्योंकि यहां के चिकित्सकों की टीम और सुविधाएं सर्वश्रेष्ठ हैं।"

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शुक्ला की इस पहल पर सोशल मीडिया पर उनकी जमकर तारीफ हो रही है ट्विटर यूजर उनकी जमकर प्रशंसा कर रहे हैं और उनके जल्द स्वस्थ्य होने की कामना कर रहे हैं। वही शुक्ला की इस पहल पर सेंट्रल मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के सचिव डॉ राकेश मालवीय का कहना है कि डॉक्टरों और अस्पताल के सभी कर्मचारी मरीजों की यथासंभव सेवा और इलाज कर रहे हैं। जब भी कोई फीडबैक सोशल मीडिया के माध्यम से यहां भर्ती रहे मरीज देते हैं तो उससे पता चलता है कि व्यवस्थाएं और स्टाफ का व्यवहार कैसा था। पीएस शुक्ला सर ने जो ट्वीट किया है वे शब्द ही हमारे साथियों के लिए एक प्रकार का सम्मान हैं।

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