भ्रष्टाचारियों के खिलाफ तेज प्रहार करने वाले IAS ऑफिसर स्वप्निल वानखेड़े ने नगर निगम कमिश्नर की संभाली कमान, स्वच्छता में नं-1 बनाना पहला लक्ष्य

Edited By meena, Updated: 16 Feb, 2023 06:57 PM

ias officer swapnil wankhede took charge as municipal commissioner

2015 बैच के तेज तर्रार आईएएस ऑफिसर स्वप्निल वानखेड़े ने जबलपुर नगर निगम के कमिश्नर के रूप में गुरुवार को पदभार ग्रहण कर लिया

जबलपुर(विवेक तिवारी): 2015 बैच के तेज तर्रार आईएएस ऑफिसर स्वप्निल वानखेड़े ने जबलपुर नगर निगम के कमिश्नर के रूप में गुरुवार को पदभार ग्रहण कर लिया। स्वप्निल की पहचान एक तेजतर्रार अधिकारी के रूप की जाती है। भ्रष्टाचारियों के खिलाफ उनके प्रहार से रीवा कांप गया था। जहां पर भी भ्रष्टाचार की खबर मिली वहां पर उन्होंने ताबड़तोड़ कार्यवाही की। बिना किसी दबाव के जनता के हित में कार्य करने वाले आईएएस ऑफिसर स्वप्निल को अपनी इसी खूबी के कारण जबलपुर नगर निगम कमिश्नर की कमान दी गई है। स्वप्निल ने अपने चौथे प्रयास में भारतीय प्रशासनिक सेवा में जगह बनाई। सिविल सेवा परीक्षा 2015 में 132वीं रैंक हासिल की। स्वप्निल ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि जबलपुर को स्वच्छता में नंबर वन बनाना उनका पहला लक्ष्य है। साथ ही लगातार आगे आगे मैं शहर के मिजाज को समझूंगा और यहां की प्राथमिकताएं सभी से मिलकर तय करूंगा। स्वप्निल वानखड़े सॉफ्टवेयर इंजीनियर है और सिविल सेवा में आने से पहले 3 साल तक उन्होंने सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर काम किया।

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मध्यम वर्गीय परिवार से नाता है स्वप्निल का

स्वप्निल के माता-पिता सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त है। पिता सरकारी अस्पताल में हेड मास्टर और मां स्टाफ इंचार्ज थीं। स्वप्निल के पहले कोई भी शीर्ष सरकारी पदों पर नहीं था। इसलिए स्वप्निल के लिए सिविल सेवा परीक्षा में शामिल होने का मन बनाना काफी बड़ा निर्णय था। स्वप्निल ने बताया कि मेरे पिता ने हमेशा मुझे बड़ा सोचने और समाज के लिए कुछ सार्थक करने के लिए प्रेरित किया और मेरा ध्यान सिविल सेवा परीक्षा की ओर लगाना उस प्रोत्साहन का परिणाम है जो मुझे मिलता रहा। उन्होंने एक कहावत हरदम कही जो आमतौर पर उपयोग करते हैं "असफलता कभी अंतिम नहीं होती जब तक कि आपको लगता है कि यह नहीं है" वास्तव में मुझे इस भीषण प्रतियोगिता के माध्यम से आगे बढ़ाया है। मुझे तैयारी-योजना पर सही सलाह मेरे मित्र सचिन अमले से मिली जिन्होंने मुझे समय-समय पर सलाह दी। मेरे पिता ने हमेशा यह सुनिश्चित किया कि असफलता मेरे आत्मविश्वास को कम न कर दे और शिक्षकों/वरिष्ठों ने भी मुझे क्या करें और क्या न करें के बारे में सलाह दी।

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2013 में बने थे सहायक कमांडेंट

स्वप्निल ने 2013 (यूपीएससी) में सहायक कमांडेंट के रूप में चयन के साथ करियर की शुरुआत की। और अपने अंतिम प्रयास में वे आईएएस बने।

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नगर निगम में स्वप्निल की चुनौती

नगर निगम जबलपुर में स्वप्निल के लिए कई चुनौती सामने है, सबसे बड़ी चुनौती जबलपुर को स्वच्छता में नंबर वन बनाना है। इसके बाद बाजारों को व्यवस्थित करना दूसरी चुनौती के रूप में देखा जा सकता है। साथ ही नगर निगम जबलपुर की सीमा में बेहतर रोड बने और ठेकेदारों की मनमानी ना चल सके इस पर भी अंकुश लगाना होगा। देखा जाता है व्यवस्थित रूप से जो विकास जबलपुर का होना चाहिए पहले कभी नहीं हो पाया है क्योंकि स्वप्निल सॉफ्टवेयर इंजीनियर भी है और प्रभावी योजनाओं का क्रियान्वयन कर सकते हैं। इसलिए उनसे जबलपुर की जनता का उम्मीद लगा रही है। जिस प्रशासनिक क्षमता के साथ उन्होंने रीवा जिला पंचायत सीईओ के रूप में काम किया ठीक वैसे ही उम्मीद नगर निगम में भी की जा रही है। नगर निगम में कर्मचारियों का एक तंत्र है जो अक्सर भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसर को दबाने का प्रयास करता है। उस पर भी स्वप्निल को पार पाना होगा यहां पर छोटी-छोटी बातों पर कर्मचारी हड़ताल करने के लिए सामने आ जाते हैं। नगर निगम की आंतरिक राजनीति भी बड़ी चुनौती मानी जाती है। युवा आईएएस ऑफिसर रीवा में ताबड़तोड़ निर्णय ले रहे थे। तभी उनको जबलपुर जैसे बड़े नगर निगम की कमान सौंपी गई है। हालांकि स्वप्निल के बारे में कहा जाता है कि वे सुनते सबकी है लेकिन निर्णय लेने से पहले सभी पहलुओं का अध्ययन करते हैं और सबसे बड़ी खासियत यह है कि किसी भी योजना को सिर्फ पेपर में ओके नहीं करते वे मौके पर जाते हैं और वहां का परीक्षण करते हैं और उसके बाद योजना को आगे बढ़ाते हैं। यानी कि स्वप्निल के सामने अगर कोई भी विकास का ड्राफ्ट लाया जाएगा तो उसका पूरी तरह से परीक्षण करेंगे। तभी आगे बढ़ेंगे स्वप्निल का आज पहला दिन है। अभी भी बड़े अधिकारियों के साथ बैठक कर चुके हैं लेकिन जिस तरह से उनकी छवि है उससे भ्रष्टाचारियों के मन में दहशत फैल गई है। माना जा रहा है कि स्वप्निल किसी वक्त किसी भी विभाग में पहुंचकर हितग्राहियों से भी बात करते हैं और दस्तावेजों की भी जांच करते हैं। प्रतिदिन का फीडबैक लेने का उनका पुराना अंदाज है शायद यही वजह है कि कर्मचारी रीवा में भी कॉल लगाकर उनके मिजाज के बारे में जानकारी हासिल कर रहे है।

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