Edited By Vikas Tiwari, Updated: 29 Oct, 2025 05:14 PM

पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर एक बार फिर सवाल उठ खड़े हुए हैं। जिले के वरिष्ठ पत्रकार अजय ठाकरे पर पुलिस द्वारा प्रकरण दर्ज किए जाने के बाद जिलेभर के पत्रकारों में भारी आक्रोश है। पत्रकारों का कहना है कि यह कार्रवाई “पत्रकारिता की आवाज़ दबाने की...
लखनादौन (पवन डेहरिया): पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर एक बार फिर सवाल उठ खड़े हुए हैं। जिले के वरिष्ठ पत्रकार अजय ठाकरे पर पुलिस द्वारा प्रकरण दर्ज किए जाने के बाद जिलेभर के पत्रकारों में भारी आक्रोश है। पत्रकारों का कहना है कि यह कार्रवाई “पत्रकारिता की आवाज़ दबाने की कोशिश” है।
मंगलवार को जिले के विभिन्न पत्रकार संगठनों और लखनादौन के पत्रकारों ने संयुक्त रूप से मुख्यमंत्री और पुलिस प्रशासन के नाम SDM को ज्ञापन सौंपा, जिसमें उन्होंने मांग की कि इस मामले की जांच किसी राजपत्रित अधिकारी से कराई जाए। पत्रकारों ने कहा कि कवरेज के दौरान FIR दर्ज किया जाना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है। ज्ञापन में उल्लेख किया गया कि संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत प्रेस की स्वतंत्रता प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है, और इस पर अंकुश लगाना संविधान के मूल भाव का उल्लंघन है।
पत्रकारों ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के दिशा-निर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि मीडिया की भूमिका जनता के हित में निष्पक्ष रिपोर्टिंग करना है। ऐसे में किसी कवरेज को आधार बनाकर पत्रकार के खिलाफ मामला दर्ज करना लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को कमजोर करने की कोशिश है। इसी दौरान पत्रकारों ने एक दूसरा सामूहिक ज्ञापन भी सौंपा, जिसमें कहा गया कि कुछ असामाजिक तत्व झूठी शिकायतें और फर्जी FIR दर्ज करवाकर पत्रकारों को डराने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इन मामलों में निष्पक्ष कार्रवाई नहीं हुई तो पत्रकार समुदाय राज्यव्यापी आंदोलन करेगा।
पत्रकारों ने यह भी कहा कि किसी भी पत्रकार पर कार्रवाई करते समय प्रशासन को Working Journalists and Other Newspaper Employees Act, 1955 के प्रावधानों का पालन करना चाहिए। ज्ञापन सौंपने के बाद पत्रकारों ने कहा कि सच्चाई दिखाना अपराध नहीं हो सकता। अगर हर सच्ची खबर पर पुलिसिया शिकंजा कसा जाएगा, तो जनता की आवाज़ कौन उठाएगा?