'गुजरात को पानी देने के बावजूद मप्र को न बिजली मिली और न ही क्षतिपूर्ति के 289 करोड़'

Edited By meena, Updated: 05 Aug, 2019 03:17 PM

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मध्य प्रदेश सरकार और गुजरात सरकार के बीच नर्मदा जल बंटबारे को लेकर टकराव बढ़ गया है।  कमलनाथ सरकार ने गुजरात सरकार परआरोप लगाते हुए कहा है कि गुजरात से दो साल से न तो बिजली मिली है और न ही क्षतिपूर्ति के 289 करोड़ रुपए

भोपाल: मध्य प्रदेश सरकार और गुजरात सरकार के बीच नर्मदा जल बंटवारे को लेकर टकराव बढ़ गया है। कमलनाथ सरकार ने गुजरात सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि गुजरात से दो साल से न तो बिजली मिली है और न ही क्षतिपूर्ति के 289 करोड़ रुपए। दरअसल, कमलनाथ सरकार ने गुजरात से नर्मदा वाटर डिस्ट्रिब्यूट ट्रिब्यूनल समझौते के मुताबिक अपने हिस्से की 1200 मेगावाट बिजली में से 57 प्रतिशत बिजली मांगी है।

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दरअसल सरोवर डैम के दरवाजों की टेस्टिंग के लिए गुजरात नर्मदा से 4 हजार मीट्रिक क्यूबिक मीटर एमसीेएम पानी देने के लिए मध्य प्रदेश पर दबाव बना रही है।लेकिन कमलनाथ सरकार 1600 एमसीएम पानी दे चुकी है और इससे ज्यादा देने से मना कर दिया है। समझौते में तय हुआ था कि गुजरात से बिजली नहीं मिलती है तो इसकी क्षतिपूर्ति राशि गुजरात देगा। वहीं मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव एसआर मोहंती और एसीएस गोपाल रेड्डी ने केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के सिचव को तीन बार पत्र लिखकर मामले में दखल देने की अपील की है। मामला अब दिल्ली नर्मदा कंर्टोल अथॉरिटी पहुंच गया है।

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घाटे में रहा मध्य प्रदेश
मप्र को सरदार सरोवर डैम से 18.25 मिलियन एकड़ फीट (एमएएफ) पानी मिलना चाहिए। अभी केवल 6.88 एमएएफ ही उपयोग में लिया गया है। यह व्यवस्था 11.36 एमएएफ तक होना चाहिए थी। हालांकि डैम नहीं बनने पर हम इसमें पिछड़ गए हैं।

2024 में नर्मदा नदी का दोबारा होगा बंटबारा
नर्मदा वाटर डिसप्यूट ट्रिब्यूनल (एनडब्ल्यूडीटी) नर्मदा के पानी का वितरण करने के लिए 1969 में बना था। 10 साल के अध्ययन और राज्यों के दावों की सुनवाई के बाद इसने 1979 में अपना निर्णय दिया। 2024 में नर्मदा अवॉर्ड से पानी का बंटवारा दोबारा होगा।

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गुजरात  ने मप्र से ज्यादा पानी हासिल किया
विधानसभा चुनाव के पहले मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार थी। केंद्रीय दबाव के चलते गुजरात सरकार ने 2017-18 में मध्यप्रदेश से ज्यादा पानी हासिल कर लिया था। गुजरात को वाटर ईयर में कुल 5500 एमसीएम पानी मिलना था, लेकिन जनवरी तक 5 हजार एमसीएम पानी ले चुका था। फरवरी से जून के बीच 500 एमसीएम पानी बचा था, लेकिन अप्रैल से जून तक गुजरात ने अतिरिक्त पानी लिया। 

गुजरात को उसके हिस्से का पानी मिला, अतिरिक्त पानी नहीं देंगे
हम गुजरात को पानी देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। गुजरात को हिस्से के मुताबिक पानी मिल रहा है। अतिरिक्त पानी नहीं देंगे। 

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