विकसित मध्यप्रदेश @2047 : GDP को 15.03 लाख करोड़ से बढ़ाकर 250 लाख करोड़ करने का लक्ष्य

Edited By meena, Updated: 21 May, 2025 02:01 PM

mohan yadav s vision of developed madhya pradesh 2047

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती वर्ष पर राजवाड़ा इंदौर में विकसित मध्यप्रदेश...

इंदौर : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती वर्ष पर राजवाड़ा इंदौर में विकसित मध्यप्रदेश @2047 दृष्टिपत्र पर मंत्रि-परिषद ने मंथन किया। लोकमाता देवी अहिल्याबाई के आदर्शो और मूल्यों अनुरूप विकसित मध्यप्रदेश बनाने के लक्ष्यों और प्रक्रिया पर सदस्यों की विस्तृत चर्चा हुई। वर्ष 2047 तक प्रदेश का समेकित विकास करते हुए सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) को 15.03 लाख करोड़ से बढ़ाकर 250 लाख करोड़ (2 ट्रिलियन डॉलर) करने का लक्ष्य रखा गया है। साथ ही प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय को एक लाख 60 हजार रूपये से बढ़ाकर 22 लाख रूपये करने का भी लक्ष्य रखा गया है।

अपर मुख्य सचिव संजय कुमार शुक्ला ने बताया कि दृष्टि पत्र में वर्ष 2047 में एक समृद्ध मध्यप्रदेश की परिकल्पना की गई है जो कि सभी के सामूहिक प्रयासों से संपन्न, सुखद और सांस्कृतिक मध्यप्रदेश की नींव पर निर्मित होगा। इस प्रकार वर्ष 2047 का मध्यप्रदेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रेरणा मंत्र 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबके प्रयास के अनुसरण से निर्मित होगा। मध्यप्रदेश को वर्ष 2047 तक विकसित राज्य बनाने एवं प्रदेश के समग्र सामाजिक आर्थिक विकास के उद्देश्य से हितधारक परामर्श एवं जन सहयोग से विकसित मध्यप्रदेश@2047 दृष्टि पत्र को तैयार किया गया है। दृष्टि पत्र को धरातल पर वास्तविक रूप से साकार करने के लिए रोडमैप का मंत्रि-परिषद के सदस्यों के समक्ष सम्बंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रेजेंटेशन दिया।

दृष्टि पत्र में वर्ष 2047 में अल्पकालिक और दीर्घकालिक लक्ष्यों के बारे में विस्तृत रूप से मंत्रि-परिषद के सदस्यों को अवगत कराया गया। 8 थीमैटिक ग्रुप्स में उद्योग, कृषि एवं सम्बंधित क्षेत्र तथा वनोत्पाद, सेवाएं और अधोसंरचना एवं नगरीय विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, सुशासन एवं नागरिक सेवाओं का प्रदाय और वित्तीय नियोजन एवं संवर्धन पर प्रेजेंटेशन दिया गया। मंत्रि-परिषद के सदस्यों ने सभी विषयों पर विस्तार से चर्चा की।

मंत्रिपरिषद के सदस्यों को बताया गया कि मध्यप्रदेश @2047 दृष्टि पत्र के क्रियान्वयन के लिए उच्च स्तरीय क्रियान्वयन समिति का गठन किया जायेगा। राज्य के सभी विभागों की योजनाओं, लक्ष्यों एवं कार्य बिंदुओं की डिजिटल ट्रैकिंग की जाएगी। साथ ही लाइव डैशबोर्ड भी बनाया जाएगा।

शत-प्रतिशत साक्षरता, नवकरणीय ऊर्जा को 75 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य

मध्यप्रदेश @2047 दृष्टिपत्र अनुसार वर्तमान में राज्य की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित है। सकल घरेलू उत्पाद में कृषि 43%, सेवाएं 36 और उद्योग 21% योगदान देते हैं। वर्ष@2047 तक उद्योगों और स्टार्ट-अप को बढ़ावा देकर, रोजगार के अवसर सृजित कर अर्थव्यवस्था को संतुलित करते हुए जीडीपी में कृषि का योगदान 24-28%, उद्योग का योगदान 21-25% और सेवाओं का योगदान 49-53% तक लाने का प्रयास किया जायेगा। सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में कार्य करते हुए प्रति व्यक्ति औसत आयु को 67.4 वर्ष से बढ़ाकर वर्ष @ 2047 तक 84 वर्ष से अधिक करने का लक्ष्य रखा गया। साथ ही साक्षरता दर को 75.2% से बढ़ाकर वर्ष@ 2047 तक 100 प्रतिशत करने का प्रयास किया जाएगा। ऊर्जा के क्षेत्र में कुल ऊर्जा स्त्रोत में नवकरणीय ऊर्जा का प्रतिशत 22.5 से बढ़ाकर 75% से अधिक किया जाएगा।

मध्यप्रदेश@2047 दृष्टि पत्र के निर्माण का कार्यक्रम

देश के 75 वें स्वतंत्रता दिवस भाषण में, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित देश बनाने का प्रयास किये जाने का आह्वान किया गया था। इसे साकार करने के लिए विकसित मध्यप्रदेश @2047' दृष्टि पत्र बनाने का निर्णय लिया गया था। विकसित भारत की परिकल्पना को साकार करने में मध्यप्रदेश के योगदान को सुनिश्चित करने, मध्यप्रदेश संकल्प पत्र-2023' के लक्ष्यों की पूर्ति करने एवं राज्य के समग्र विकास को दिशा देने के लिए विकसित मध्यप्रदेश @2047 दृष्टिपत्र तैयार किया गया।

"विकसित मध्यप्रदेश @ 2047" विजन डॉक्यूमेंट तैयार करने में अप्रैल 2024 में नीति आयोग, भारत सरकार से प्रारम्भिक चर्चा की गई। माह मई से सितम्बर 2024 के मध्य अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव/ सचिव स्तर के 8 थीमेटिक समूहों में व्यापक परिचर्चा के बाद विकसित भारत@2047 के लिए मध्यप्रदेश के सुझाव और अभिमत नीति आयोग को प्रेषित किये गए। नवंबर 2024 में सीईओ नीति आयोग एवं मुख्य सचिव की अध्यक्षता में भोपाल में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में लिए गए निर्णय अनुसार और नीति आयोग के मार्गदर्शन में राज्य स्तर पर व्यापक विचार-विमर्श प्रक्रिया प्रारंभ की गई। इसमें जनप्रतिनिधियों के सुझाव, विषय विशेषज्ञों के साथ चर्चा, जिलों में जनसंवाद कार्यक्रम, निबंध प्रतियोगिता, नागरिक सर्वेक्षण, उद्योग संगठनों के साथ चर्चा, शिक्षाविदों के साथ चर्चा और फील्ड विजिट शामिल रही।

मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्चाधिकार समिति गठित की गई, जिसके मार्गदर्शन में 8 थीमैटिक ग्रुप्स का गठन किया गया। 8 थीमैटिक गुप्स में उद्योग, कृषि एवं सम्बंधित क्षेत्र तथा वनोत्पाद, सेवाएं, अधोसंरचना एवं नगरीय विकास, शिक्षा, स्वास्थय, सुशासन एवं नागरिक सेवाएं प्रदाय और वित्तीय नियोजन एवं संवर्धन को शामिल किया गया। प्रत्येक ग्रुप द्वारा विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों की सहभागिता और अन्य हितधारकों के सुझावों का समावेशन सुनिश्चित करते हुए दृष्टि पत्र तैयार किया गया है।

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