कमलनाथ सरकार झुकी, आश्वासन के बाद 13 मेडिकल काॅलेज के 3300 टीचर्स ने इस्तीफा लिया वापस

Edited By Jagdev Singh, Updated: 07 Jan, 2020 11:53 AM

mp govt bowed down 3300 teachers 13 medi colleges assurance withdrew

मध्य प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों के तीन हजार से ज्यादा मेडिकल टीचर्स ने अपना सामूहिक इस्तीफा वापस ले लिया है। मेडिकल टीचर्स ने यह फैसला मुख्य सचिव एसआर मोहंती और चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव के साथ हुई बैठक के बाद लिया है। बैठक में मेडिकल...

भोपाल: मध्य प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों के तीन हजार से ज्यादा मेडिकल टीचर्स ने अपना सामूहिक इस्तीफा वापस ले लिया है। मेडिकल टीचर्स ने यह फैसला मुख्य सचिव एसआर मोहंती और चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव के साथ हुई बैठक के बाद लिया है। बैठक में मेडिकल टीचर्स को पदोन्नति और वेतन विसंगति मामले का जल्द निराकरण करने का आश्वासन दिया है।

वहीं तीन दिन पहले प्रदेश के 13 सरकारी मेडिकल कॉलेजों के 3300 मेडिकल टीचर्स ने सामूहिक इस्तीफा दिया था। टीचर्स ने चेतावनी दी थी कि 9 जनवरी तक उनकी मांग को पूरा नहीं किया,तो वह मेडिकल टीचर का पूरी तरह से काम बंद कर देंगे। मुख्य सचिव से बैठक के बाद अब मेडिकल टीचर्स किसी भी तरह की आगे हड़ताल नहीं करेंगे। सरकार को टीचर्स के आगे इसलिए झुकना पड़ा, क्योंकि इनके आंदोलित होने से प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था प्रभावित होने वाली थी। मरीजों के साथ जूनियर डॉक्टर्स की पढ़ाई पर इसका असर पढ़ने वाला था। सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया और मांगों को जल्द पूरा करने का आश्वासन दिया।

इस दौरान मेडिकल टीचर्स ने बताया कि 2016 से सभी सरकारी विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों को सातवें वेतनमान का लाभ मिलने लगा है, लेकिन मेडिकल टीचर्स को 4 साल बाद भी इससे दूर रखा गया। उन्होंने पहले बीजेपी सरकार के कार्यकाल में आंदोलन किए और जब कांग्रेस की सरकार आई तो अभी भी उनकी मांग पर ध्यान नहीं दिया गया। अपनी मांग पूरी नहीं होने की वजह से सभी मेडिकल टीचर्स ने सामूहिक इस्तीफा देने का फैसला लिया था।

वहीं इससे पहले मेडिकल टीचर्स ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो सभी टीचर्स 9 जनवरी से काम भी बंद कर देंगे। यदि टीचर्स काम बंद कर देते तो मेडिकल अस्पतालों में आने वाले हजारों मरीजों को इलाज में परेशानी का सामना करना पड़ सकता था। इसके साथ ही अस्पताल के जूनियर डॉक्टरों की पढ़ाई भी इससे प्रभावित होती। यदि सरकार इनकी मांगों पर ध्यान नहीं देती तो चरणबद्ध तरीके से होने वाले इस आंदोलन में जूनियर डॉक्टर्स भी शामिल हो जाते। इसी वजह से कमलनाथ सरकार ने उनकी मांगे पूरी करने का आश्‍वासन दिया है।

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