Singrauli News: जिले के विकास में बाधा बन रही है मेयर, परिषद की बैठक हंगामेदार होने के आसार

Edited By Devendra Singh, Updated: 27 Dec, 2022 05:47 PM

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सिंगरौली में शुरू होने वाली परिषद की बैठक हंगामेदार होने के आसार है। सिंगरौली में नगर सरकार बनने के बाद से आज तक परिषद की बैठक न होने का सारा ठीकरा निगम अध्यक्ष ने मेयर पर फोड़ा है। उनका आरोप है कि मेयर, नगर विकास के कार्यों में बाधा बन रही है।

सिंगरौली (अनिल सिंह): शहर के विकास में बाधक बन रही मेयर (singrauli mayor) बाजार बैठकी टैक्स माफी को लेकर राजनीतिक बाजार गरमा चुका है। महापौर, नगर निगम अध्यक्ष और विधायक के बीच जुबानी जंग जारी है। सभी एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। वही आज से शुरू होने वाली परिषद की बैठक हंगामेदार होने के आसार नजर आ रहे हैं। दरअसल सिंगरौली में नगर सरकार बनने के बाद से आज तक परिषद की बैठक न होने का सारा ठीकरा निगम अध्यक्ष ने मेयर पर फोड़ा है। उनका आरोप है कि मेयर, नगर विकास के कार्यों में बाधा बन रही है। जिससे शहर का विकास सड़क, नाली, पानी और बिजली जैसे मुख्य जरूरी काम नहीं हो पा रहे हैं। परिषद की बैठक न होने से परिषद को बजट एलॉट नहीं हो पा रहा है। आगे अध्यक्ष ने यह भी कहा कि आज से बैठक शुरू होनी है। लेकिन मेयर और उनकी पार्टी के लोग इस बैठक का बहिष्कार करेंगे।

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भाजपा विधायक ने केजरीवाल पर साधा निशाना 

इधर सिंगरौली भाजपा विधायक राम लल्लू वैश्य ने मेयर रानी अग्रवाल और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा कि नगरीय चुनाव के बीच दिल्ली मुख्यमंत्री और स्थानीय मेयर ने लोगों को लॉलीपॉप भरी घोषणाएं सुना कर जीत तो हासिल कर ली। लेकिन उसे पूरा नहीं कर पा रही तो सारा ठीकरा भाजपा के ऊपर फोड़ रही है। उनका आरोप है कि लोगों को गुमराह कर रही। यदि बाजार बैठकी माफ ही करानी है, तो बाजार बैठकर का टैक्स वो खुद अपने से खुद नगर निगम में जमा कर दे तो बाजार बैठकर माफ हो जाएगी।

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मेयर का विधायक और आयुक्त पर पलटवार 

अध्यक्ष और विधायक के आरोपों पर पलटवार करते हुए मेयर रानी अग्रवाल ने कहा कि बाजार बैठकी टेक्स माफी एक सार्वजनिक एवं लोगों के हित का मुद्दा है। इसे परिषद की बैठक में शामिल करने के लिए एमआईसी के सदस्यों से चर्चा के उपरांत भेजा गया था। लेकिन निगम आयुक्त पवन सिंह और भाजपा सरकार के दबाव में आकर एजेंडे को प्रस्ताव में शामिल नहीं किया है, जोकि न्याय संगत नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने विधायक के बातों पर पलटवार करते हुए कहा कि जो भी प्रदेश में नेता मंत्री और विधायक घोषणा कर चुनाव लड़ते हैं तो क्या वह अपनी घोषणा पूरी करने के लिए अपने जेब से पैसे खर्च करते हैं। यदि वह अपनी घोषणा पूरी करने के लिए खुद पैसे जेब से दे तो हम भी अपनी घोषणा को पूरी करने के लिए पैसे देने और टैक्स भरने के लिए तैयार हूं।

 

 

 

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