छत्तीसगढ़ की फिज़ा में गूंजा राष्ट्रगीत, वंदे मातरम् के 150वें स्मरणोत्सव का अवसर बना खास

Edited By meena, Updated: 07 Nov, 2025 02:19 PM

the national song resonated in the atmosphere of chhattisgarh

‘वंदे मातरम्’ राष्ट्रगीत की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर आज देशभर में विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया गया...

रायपुर (पुष्पेंद्र सिंह) : ‘वंदे मातरम्’ राष्ट्रगीत की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर आज देशभर में विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस ऐतिहासिक दिन को छत्तीसगढ़ में भी बड़े उत्साह और गर्व के साथ मनाया गया। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने मंत्रालय महानदी भवन में वरिष्ठ अधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ सामूहिक रूप से ‘वंदे मातरम्’ का गायन किया। इस अवसर पर सभी ने “वंदे मातरम्” के उद्घोष के साथ आज़ादी की राष्ट्रीय चेतना का पुण्य स्मरण किया और अमर बलिदानियों को नमन किया।

मुख्यमंत्री साय ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ पर नई दिल्ली में आयोजित स्मरणोत्सव में वर्चुअली शामिल हुए और प्रधानमंत्री का उद्बोधन भी सुना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संदेश में कहा कि वंदे मातरम् मां भारती की साधना और आराधना की प्रेरक अभिव्यक्ति है। उन्होंने कहा कि ‘वंदे मातरम्’ के सामूहिक गान का एक प्रवाह, एक लय और एक तारतम्य हृदय को स्पंदित कर देता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘वंदे मातरम्’ का मूल भाव मां भारती है- यह भारत की शाश्वत संकल्पना, स्वतंत्र अस्तित्व-बोध और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘वंदे मातरम्’ भारत की आज़ादी का उद्घोष था, जिसने गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने और स्वाधीन भारत के स्वप्न को साकार करने की प्रेरणा दी। स्वतंत्रता आंदोलन में यह गीत क्रांतिकारियों की आवाज़ बना और यह केवल प्रतिरोध का स्वर नहीं, बल्कि आत्मबल जगाने वाला मंत्र बन गया। मोदी ने कहा कि ‘वंदे मातरम्’ में भारत की हजारों वर्षों पुरानी सभ्यता, संस्कृति और समृद्धि की कहानी समाहित है। विदेशी आक्रमणों और अंग्रेज़ों की शोषणकारी नीतियों के बीच ‘वंदे मातरम्’ ने समृद्ध भारत के स्वप्न का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आज दुनिया भारत के नए स्वरूप का उदय देख रही है, जो अपनी परंपरा, आध्यात्मिकता और आधुनिकता के समन्वय से आगे बढ़ रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘वंदे मातरम्’ आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना स्वतंत्रता संग्राम के समय था, और यह गीत सदैव हमारे हृदयों में अमर रहेगा। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने राष्ट्रगीत की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दीं और कहा कि यह गीत मातृभूमि के प्रति अगाध प्रेम, कृतज्ञता और राष्ट्रधर्म की भावना का शाश्वत प्रतीक है। उन्होंने कहा कि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूरे देश ने एक स्वर में ‘वंदे मातरम्’ का सामूहिक गायन कर मातृभूमि की वंदना की है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ के वर्षभर चलने वाले स्मरणोत्सव का आज माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा राष्ट्रव्यापी शुभारंभ इस कालातीत रचना के 150 वर्ष पूरे होने का गौरवपूर्ण अध्याय है। इस अवसर पर वंदे मातरम् के सामूहिक गायन के साथ ही माननीय प्रधानमंत्री द्वारा स्मारक सिक्के का जारी होना एक ऐतिहासिक स्मृति है। बंकिमचंद्र चटर्जी द्वारा रचित वंदे मातरम् गीत भारत के स्वतंत्रता आंदोलन की प्रेरणा रहा है, जिसने सदैव राष्ट्रीय गौरव, एकता और आत्मसम्मान की ज्योति प्रज्वलित की है। यह मातृभूमि की शक्ति, समृद्धि और दिव्यता का प्रतीक है, साथ ही भारत की एकता और आत्मगौरव की काव्यात्मक अभिव्यक्ति है।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि 7 नवम्बर 1875 को बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने इस कालजयी रचना की सृष्टि की थी, जिसे बाद में उनके प्रसिद्ध उपन्यास ‘आनंद मठ’ में शामिल किया गया। मातृभूमि की स्तुति में रचा गया यह गीत स्वतंत्रता संग्राम के दौरान देशभक्ति की सबसे प्रबल प्रेरणा बना। अनेक क्रांतिकारियों ने “वंदे मातरम्” कहते हुए हंसते-हंसते अपने प्राण न्योछावर कर दिए। वंदे मातरम भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का प्रतीक बन गया।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि 1905 में बंगाल विभाजन के समय ‘वंदे मातरम्’ ने स्वदेशी आंदोलन को नई ऊर्जा दी। उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक यह गीत सांस्कृतिक एकता और राष्ट्रभक्ति का मंत्र बन गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘वंदे मातरम्’ सुनते ही हृदय में ऊर्जा, गर्व और देशभक्ति का संचार होता है। यह गीत हमें स्मरण कराता है कि हमारी भूमि, जल, अन्न और संस्कृति ही हमारी जीवनदायिनी शक्ति हैं। उन्होंने कहा, “यूरोप में भूमि को ‘फादरलैंड’ कहा जाता है, लेकिन भारत में हम अपनी भूमि को ‘मातृभूमि’ कहते हैं।” यह भाव रामायण के श्लोक “जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी” में प्रकट होता है। ‘वंदे मातरम्’ भी इसी भाव से जन्मा हमारा ध्येय-वाक्य है।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि इस पहल से भावी पीढ़ी को हमारे अतीत के संघर्षों और ‘वंदे मातरम्’ जैसी अमर रचनाओं की आज़ादी की लड़ाई में भूमिका के बारे में जानने का सुंदर अवसर मिलेगा। उन्होंने इस अवसर पर सभी नागरिकों से आह्वान किया कि वे विकसित भारत और विकसित छत्तीसगढ़ के निर्माण का संकल्प लें और इसे भारत माता तथा छत्तीसगढ़ महतारी को समर्पित करें। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ को समर्पित स्मारक सिक्का तथा डाक टिकट का विमोचन किया। साथ ही, इस अवसर पर ‘वंदे भारत पोर्टल’ (vandematram150.in) का शुभारंभ भी किया। इस पोर्टल के माध्यम से देशवासी अपनी आवाज़ में ‘वंदे मातरम्’ रिकॉर्ड कर इस ऐतिहासिक यात्रा से जुड़ सकते हैं। यह पहल लोगों को भारत की गौरवशाली विरासत का हिस्सा बनने का अवसर प्रदान करेगी।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ पर छायाचित्र प्रदर्शनी का किया शुभारंभ

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज मंत्रालय महानदी भवन में ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित छायाचित्र प्रदर्शनी का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री साय ने प्रदर्शनी का विस्तार से अवलोकन करते हुए ‘वंदे मातरम्’ के सृजन से लेकर इसके राष्ट्रीय चेतना के प्रतीक बनने तक की ऐतिहासिक यात्रा का अवलोकन किया। उन्होंने प्रदर्शनी को अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि यह भारत के गौरवशाली इतिहास और स्वतंत्रता संग्राम के दौर की अनेक अनकही कहानियों को उजागर करती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसी प्रदर्शनी नई पीढ़ी को देश की आज़ादी के मूल भाव और ‘वंदे मातरम्’ की प्रेरक भूमिका से परिचित कराती है।

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