Edited By meena, Updated: 08 Nov, 2020 03:03 PM
मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में गरीब परिवारों के जीवन स्तर को सुधारने के लिये केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाएं सिर्फ कागजी साबित हो रही है क्योंकि वास्तविक निर्धन पात्र लोगों को तो इनका लाभ नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में गरीब परिवार...
छतरपुर(राजेश चौरसिया): मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में गरीब परिवारों के जीवन स्तर को सुधारने के लिये केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाएं सिर्फ कागजी साबित हो रही है क्योंकि वास्तविक निर्धन पात्र लोगों को तो इनका लाभ नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में गरीब परिवार मिट्टी के कच्चे घरों या झोपड़ियों में रहकर अपना जीवन यापन करते हैं।
एक ऐसा ही मामला छतरपुर जिले के नौगांव जनपद की पंचायत इमलिया से सामने आया है। जहां कोमल रैकवार अपनी 7 मासूम बेटियों के साथ मिट्टी के कच्चे घर और झोपड़ी में रहता है। भूमिहीन निर्धन मजदूर परिवार का अभी तक बीपीएल कार्ड नहीं बना है।
यह परिवार सरकारी योजना बीपीएल, पीएम आवास शौचालय की योजना का लाभ नहीं ले सका। हैरानी की बात यह है कि आखिर क्यों ये योजनाएं इनकी पहुंच से बहुत दूर हैं। क्या इसे सरकारी तंत्र का नकारापन/नाकामी, विडंबना कहें या भष्टचार की पराकाष्ठा। ये कुछ ऐसे सवाल है जो इनकी बदहाली की तस्वीर देखने के बाद उठते हैं।