गोकुलदास अस्पताल में एक घंटे में तीन मौतें, हॉस्पिटल का लाइसेंस अस्थाई ताैर पर निरस्त

Edited By meena, Updated: 08 May, 2020 12:15 PM

three deaths in an hour in gokuldas hospital license revoked temporarily

इंदौर के गोकुलदास अस्पताल से मरीजों के परिजनों के एक वीडियो के वायरल होने के बाद गुरुवार शाम को हंगामा खड़ा हो गया। मामला सामने आने के बाद अब हर निजी अस्पताल पर नकेल कसने की आवश्यकता इंदौर में प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है क्योंकि कोरोना संकट काल...

इंदौर(गौरव कंछल): इंदौर के गोकुलदास अस्पताल से मरीजों के परिजनों के एक वीडियो के वायरल होने के बाद गुरुवार शाम को हंगामा खड़ा हो गया। मामला सामने आने के बाद अब हर निजी अस्पताल पर नकेल कसने की आवश्यकता इंदौर में प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है क्योंकि कोरोना संकट काल मे बेतरतीव मनमानियां इलाज के नाम पर चल रही है। बिल बढ़ाने और ग्रीन जोन कैटेगरी में जाने की जल्दबाजी के चक्कर मे कोरोना निगेटिव मरीजो की मौत ने गोकुलदास अस्पताल की व्यवस्थाओ की पोल खोल दी है।

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दरअसल, कोविड- 19 का डर दिखाकर लोगो को बेवजह अस्पताल में रोकने का आरोप निजी अस्पतालों पर बीते कई दिनों से लग रहे है। ये आरोप गोकुलदास प्रबंधन पर पहले से ही लग गए थे और गुरुवार को हद तो तब हो गई जब कुछ ही समय मे एक के बाद एक मरीजो की मौत हो गई। जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन की कारगुजारियां एक वीडियो के जरिये सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। वीडियो में अस्पताल में भर्ती होकर जान गंवाने वालो के परिजनों ने गोकुलदास अस्पताल प्रबंधन को ना सिर्फ मौत का दोषी ठहराया बल्कि ये भी साफ किया मनमानी फीस वसूलने के बावजूद अस्पताल प्रबंधन ने अस्पताल को ग्रीन जोन कैटेगरी में जल्दी लाने के चक्कर मे लापरवाही की हदे पार कर दी है।

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वीडियो में जिला कलेक्टर मनीष सिंह से बिलखते परिजनों ने अस्पताल पर कार्रवाई की मांग की थी परिजनों का आरोप है कि जो लोग आधे घण्टे पहले तक बिल्कुल स्वस्थ थे उन्हें अस्पताल प्रबंधन ने कुछ देर में ही मृत घोषित कर दिया है। आधे घण्टे के भीतर हुई मौतों के मामले ने उस वक्त तूल पकड़ लिया जब शहर में सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो गया। इसके बाद सांसद शंकर लालवानी ने जिला कलेक्टर से मामले की जांच करने की बात कही। कलेक्टर मनीष सिंह ने तुरंत प्रशासनिक अमले को जांच के आदेश दिए और इसके बाद आनन फानन में इंदौर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.प्रवीण जाड़िया, डॉ. माधव हसानी, एम.वाय. अधीक्षक डॉ.पी.एस. ठाकुर और डॉ. सलिल भार्गव और उनकी टीम अस्पताल में जांच के लिए पहुंची। अनियमितता की जांच के पहले गोकुलदास प्रबंधन से जुड़े एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर डॉ. संजय गोकुलदास सहित अन्य लोगो को कई दफा प्रशासन ने फोन लगाए गए लेकिन किसी ने भी फोन नही उठाया। जांच के दौरान स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गुरुवार रात को ही पूरे दिन के दस्तावेज देखे और सभी दस्तावेजो को जब्त कर सील कर दिया गया।

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सोशल मीडिया पर जारी वीडियो में परिजनों द्वारा आरोप ये भी लगाए गए थे कि अस्पताल प्रबंधन लगातार समूचे अस्पताल को सेनेटाइज करने की बात कह रहा था ताकि वो ग्रीन कैटेगरी में आ सके लेकिन इसके पहले ही 4 लोगों की जान चली गई। जांच के लिए पहुंचे CMHO डॉ. प्रवीण जाड़िया ने बताया कि जिन 3 मौतों का जिक्र वीडियो में किया जा रहा है उनकी मौत आधे घण्टे के अंतराल में नही बल्कि 1 घण्टा 45 मिनिट के अंतराल में हुई है। वही उन्होंने ये भी साफ किया कि अस्पताल में आज 4 लोगो की मौत हुई है जिनमे से 3 मरीजों की कोविड रिपोर्ट निगेटिव आई है वही एक मृतक की रिपोर्ट आना बाकी है। अस्पताल के आईसीयू में चल रहे इलाज के दौरान अचानक मौत की खबरे सामने आने के बाद हरकत में आये स्वास्थ्य विभाग की माने तो अस्पताल से जुड़े दस्तावेजों को जब्त कर सील कर दिया गया है। CMHO इंदौर ने बताया कि सेनेटाइज करने और मरीजो की शिफ्टिंग को लेकर निश्चित नियम है, जिनका पालन करना होता है। वहीं उन्होंने साफ किया कि यदि जांच में अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही सामने आई तो नर्सिंग होम एक्ट और एपिडेमिक एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी। जिसके बाद अस्पताल का लायसेंस स्थायी रूप से निरस्त कर उसे सील किया जा सकता है।


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बता दे कि स्वास्थ्य विभाग की टीम ने एक परिजन का बयान भी लिया है जिसमे समूचे अस्पताल को सेनेटाइज करने की बात भी सामने आई है। सवाल ये भी उठ रहा है कि अस्पताल वैसे ही मरीजो के परिजनों से मोटी फीस वसूल रहा था तो फिर ऐसी कौन सी सुनामी आन पड़ी कि अस्पताल को एक ही दिन में ग्रीन जोन में ले जाने की आवश्यकता पड़ी। यही वजह है परिजनों के आरोपों को पुख्ता करने के लिए काफी है फिलहाल, स्वास्थ्य विभाग की टीम की जांच पूरे मामले को लेकर जारी है। इस मामले के सामने आने के बाद अब प्रशासन पर भी सवाल उठ रहे है जो अस्पतालों को ताकीद नहीं कर सका कि वो कोरोना काल मे कोई लापरवाही न करे। भारी बिलों के बोझ और कोरोना के भय से आतंकित करने वाले अस्पतालों पर लगाम कसने के लिए कोरोना संकट काल मे प्रदेश सरकार को कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है नहीं तो इंदौर जैसे हालात प्रदेश के किसी भी अस्पताल में बन सकते है। जब कोरोना को मिलकर हराना है तो क्यों इस वक्त अस्पताल अपने फायदे के कायदे को आगे रख रहे है। बता दे कि इंदौर देर रात जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक अब तक इंदौर में कोरोना संक्रमित 28 मरीज सामने आए है और जिसके चलते पॉजिटिव मरीजों की संख्या 1727 तक जा पहुंची है वही 3 लोगों की मौत के बाद मरने वालों की संख्या 86 तक जा पहुंची है।

 

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