केंद्रीय बजट: इस साल राज्यों के हिस्सों पर चली केंद्र की कैंची, MP के हिस्से के 14 हजार करोड़ रुपये काटे

Edited By Jagdev Singh, Updated: 02 Feb, 2020 11:06 AM

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मध्यप्रदेश के लिए केंद्रीय बजट में कोई विशेष योजना या घोषणा का जिक्र नहीं है। न ही रेल और स्वास्थ्य सेक्टर को कुछ खास दिया गया। ऊपर से केंद्र सरकार ने केंद्रीय करों में राज्यों के हिस्से में भारी कटौती कर दी। चालू वित्तीय वर्ष में इन करों में मध्य...

भोपाल: मध्यप्रदेश के लिए केंद्रीय बजट में कोई विशेष योजना या घोषणा का जिक्र नहीं है। न ही रेल और स्वास्थ्य सेक्टर को कुछ खास दिया गया। ऊपर से केंद्र सरकार ने केंद्रीय करों में राज्यों के हिस्से में भारी कटौती कर दी। चालू वित्तीय वर्ष में इन करों में मध्य प्रदेश को 14 हजार 233 करोड़ रुपए कम मिलेंगे। इसके अतिरिक्त अगले वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए केंद्रीय करों का हिस्सा एक प्रतिशत कम कर दिया गया है। अभी तक यह 42 प्रतिशत था, जो अगले वित्तीय वर्ष के लिए 41 प्रतिशत होगा। इस कटौती का सीधा असर राज्य में चल रहीं राजस्व योजनाओं पर पड़ना तय है।

बजट भाषण में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय करों में राज्यों के हिस्से का रिवाइज एस्टीमेट भी जारी किया। इससे मध्य प्रदेश को वित्तीय वर्ष 2019-20 में सीधे तौर पर 11 हजार 556 करोड़ राशि और कम मिलेगी। पिछले बजट में ही केंद्र सरकार ने 2677 करोड़ रुपए कम कर दिए थे। इस वित्त वर्ष के अब बचे हुए दो महीने फरवरी और मार्च से पहले उन्होंने बड़ी राशि और घटा दी। राज्य के हिस्से में हुई राजस्व कटौती से खासतौर पर किसानों की कर्जमाफी प्रभावित होगी, क्योंकि इसका दूसरा चरण राज्य सरकार ने प्रारंभ कर दिया है।

इस चरण में 50 हजार से लेकर 1 लाख रुपए तक कर्ज माफ होना है। इसमें करीब 4500 करोड़ रुपए की जरूरत है। इसके अतिरिक्त स्वच्छ भारत मिशन, प्रधानमंत्री आवास योजना, अमृत, पोषण आहार कार्यक्रम और आंगनबाड़ी सेवाओं आदि में राज्यांश देने के लिए मध्य प्रदेश को नए विकल्प देखने होंगे। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने केंद्रीय बजट को राज्य के हितों पर कुठाराघात बताया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की केंद्रीय करों में मिलने वाली हिस्सेदारी में 11 हजार 556 करोड़ रुपए की कटौती की गई है। वित्तीय वर्ष की शुरुआत में ही 2677 करोड़ रुपए कम कर दिए गए थे। राज्य कैसे काम करेंगे।

वित्तमंत्री का भाषण लंबा जरूर रहा, लेकिन ये आंकड़ों का मायाजाल होकर निराशाजनक व हवाई सपने दिखाने वाला रहा। इसमें गांव, गरीब, किसान, युवा रोजगार और महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कुछ भी नहीं है। बेरोजगारी दूर करने के लिए व युवाओं को रोजगार देने का जिक्र तक इस बजट में नहीं है। मध्य प्रदेश के वित्त अफसरों ने नवंबर-दिसंबर तक के टैक्स कलेक्शन के आधार पर अनुमान लगाया था कि चालू वित्तीय वर्ष के आखिर के दो महीनों में पैसा कम मिलेगा। केंद्रीय करों के हिस्से में 9000 करोड़ तक की कटौती हो सकती है। पर, रिवाइज एस्टीमेट में यह ढाई हजार करोड़ रु. और बढ़ गई। जो 22.3% है।

वित्त अधिकारियों का कहना है कि अगले वर्ष में 1% कटौती का कुल राशि पर ज्यादा असर नहीं होगा।  चालू वित्त वर्ष में एस्टीमेट 63 हजार 751 करोड़ रु. था। इसे जुलाई 2019 के केंद्रीय बजट में 61 हजार 74 करोड़ कर दिया गया था। यही राशि मध्य प्रदेश को मिलनी थी। यही एस्टीमेट अब अगले वित्तीय वर्ष का भी रखा गया है। केंद्र सरकार ने आम बजट में उन व्यापारियों को थोड़ी राहत दी है जिनके रजिस्ट्रेशन पिछले महीने रिटर्न न भरने के कारण रद्द हो गए थे। भोपाल में ऐसे 6 हजार और मप्र में 36 हजार व्यापारी हैं। पुरानी व्यवस्था के तहत उन्हें 30 दिन के भीतर सक्षम अधिकारियों के पास अपील करनी पड़ती थी। नई व्यवस्था में यह सीमा बढ़ाकर 90 दिन कर दी गई है।

इसमें पहली तीस दिन की सीमा खत्म होने के बाद वे अगले तीन दिन में अपने क्षेत्र के संयुक्त आयुक्त के पास 30 दिन और उसके बाद फिर कमिश्नर स्तर के अधिकारी के पास अतिरिक्त 30 दिन के भीतर अपील कर सकेंगे। कुछ तकनीकी दिक्कतों और प्रक्रिया की जानकारी न होने की वजह से व्यापारी पहले 30 दिन में यह रजिस्ट्रेशन फिर से प्राप्त करने के लिए आवेदन नहीं कर पाए थे। वर्तमान व्यवस्था के तहत कंपोजिशन वाले व्यापारी लगातार तीन रिटर्न और नियमित व्यापारी और उद्यमी छह माह तक रिटर्न न भरें तो उनके पंजीयन कैंसिल हो जाते हैं। जीएसटी विशेषज्ञ मुकुल शर्मा कहते हैं कि कैंसिल रजिस्ट्रेशन को फिर से शुरू करना व्यापारियों के लिए एक बड़ी समस्या रहा है। ज्यादातर कैंसिलेशन सीधे पोर्टल के माध्यम से हो जाते हैं।

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