Edited By meena, Updated: 30 Sep, 2019 02:03 PM
भले ही प्रदेश सरकार आमजन को सुविधाओं के नाम पर लंबे चौड़े भाषण देती हो लेकिन बीना जिले में सुविधाओं के प्रति उपेक्षा की मुंह बोलती तस्वीर सामने आई है। जहां मुहासा गांव में तेज बारिश के बीच एक सदस्य की मौत पर परिजनों और गांववासियों को तिरपाल...
बीना: भले ही प्रदेश सरकार आमजन को सुविधाओं के नाम पर लंबे चौड़े भाषण देती हो लेकिन बीना जिले में सुविधाओं के प्रति उपेक्षा की मुंह बोलती तस्वीर सामने आई है। जहां मुहासा गांव में तेज बारिश के बीच एक सदस्य की मौत पर परिजनों और गांववासियों को तिरपाल और छाता तान कर अंतिम संस्कार करना पड़ा।
जनप्रतिनिधियों की अनदेखी का शिकार हुए इस गांव में बरसात के दौरान अधिकतर संस्कार ऐसे ही होते हैं। दरअसल रविवार तड़के गांव की एक आदिवासी महिला की मौत हो गई थी। पहले तो गांव से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर श्मशान घाट तक ग्रामीणों को शव को बड़ी मशक्कत से वहां ले जाना पड़ा। हैरानी की बात यह है कि श्मशान तक पहुंचने का रास्ता ही नहीं है। कहीं फिसलन भरे ऊंचे-ऊंचे टीलें हैं तो कहीं पानी से भरे गड्डे आखिरकार जैसे-तैसे करके शवयात्रा श्मशान घाट पहुंची। इसके बाद जैसे ही अंतिम संस्कार हुआ वैसे ही तेज बारिश होने लगी। बेचारे परिजन और ग्रामीण आग को बारिश से बचाने के लिए छाता और तिरपाल लेकर जलती चिता के चारों और खड़े हो गए। तब कहीं जाकर शव का संस्कार हो सका।
वहीं इस संबंध में ग्राम वासियों ने बताया कि सरपंच से कई बार श्मशान घाट में चबूतरा बनाने की अपील की लेकिन सरपंच ने कभी इस ओर ध्यान ही नहीं दिया।