MP : ब्रेन ट्यूमर से जूझ रही तीन वर्षीय लड़की ने जैन प्रथा ‘‘संथारा'' से त्यागे प्राण, विश्व रिकॉर्ड दर्ज

Edited By meena, Updated: 03 May, 2025 01:05 PM

3 year old girl suffering from brain tumor gave up her life by doing  santhara

मध्य प्रदेश के इंदौर में ब्रेन ट्यूमर से जूझ रही तीन वर्षीय लड़की को ‘‘संथारा'' व्रत ग्रहण कराए जाने का मामला सामने आया है...

इंदौर : मध्य प्रदेश के इंदौर में ब्रेन ट्यूमर से जूझ रही तीन वर्षीय लड़की को ‘‘संथारा'' व्रत ग्रहण कराए जाने का मामला सामने आया है। गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने इस लड़की के नाम विश्व कीर्तिमान का प्रमाण पत्र भी जारी किया है। ‘संथारा' जैन धर्म की प्राचीन प्रथा है जिसके तहत कोई व्यक्ति अपने अंतिम समय का आभास होने पर मृत्यु का वरण करने के लिए अन्न-जल और सांसारिक वस्तुएं त्याग देता है। लड़की के माता-पिता सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र के पेशेवर हैं और उनका कहना है कि उन्होंने एक जैन मुनि की प्रेरणा से अपनी इकलौती संतान को संथारा व्रत दिलाने का फैसला किया।

इस व्रत से तीन वर्ष की उम्र में प्राण त्यागने वाली लड़की वियाना जैन के पिता पीयूष जैन के अनुसार, ‘‘मेरी बेटी को इस साल जनवरी में ब्रेन ट्यूमर होने का पता चला था। हमने उसकी सर्जरी कराई थी। सर्जरी के बाद उसकी सेहत में सुधार हुआ, लेकिन मार्च में उसकी तबीयत ज्यादा बिगड़ गई और उसे खाने-पीने में भी दिक्कत होने लगी थी।'' उन्होंने बताया कि 21 मार्च की रात वह अपनी बेहद बीमार बेटी को परिजनों के साथ जैन संत राजेश मुनि महाराज के पास दर्शन के लिए ले गए थे।

जैन ने बताया, ‘‘महाराज जी ने मेरी बेटी की हालत देखी। उन्होंने हमसे कहा कि बच्ची का अंतिम समय नजदीक है और उसे संथारा व्रत दिला देना चाहिए। जैन धर्म में इस व्रत का काफी महत्व है। हम सोच-विचार के बाद इसके लिए राजी हो गए।'' उन्होंने बताया कि जैन संत द्वारा संथारा के धार्मिक विधि-विधान पूरे कराए जाने के चंद मिनटों के भीतर उनकी बेटी ने प्राण त्याग दिए। आईटी पेशेवर ने यह भी बताया कि गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने उनकी बेटी के नाम विश्व कीर्तिमान का प्रमाण पत्र जारी किया है जिसमें उसे ‘‘जैन विधि-विधान के मुताबिक संथारा व्रत ग्रहण करने वाली दुनिया की सबसे कम उम्र की शख्स'' बताया गया है।

वियाना अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी। उसकी मां वर्षा जैन ने कहा, ‘‘मैं शब्दों में नहीं बता सकती कि मेरी बेटी को संथारा व्रत ग्रहण कराने का फैसला हमारे परिवार के लिए कितना मुश्किल था। मेरी बेटी ब्रेन ट्यूमर के कारण काफी तकलीफ झेल रही थी। उसे इस हालत में देखना मेरे लिए बेहद पीड़ादायी था।'' अपनी दिवंगत बेटी की याद में भावुक मां ने कहा, ‘‘मैं चाहती हूं कि मेरी बेटी उसके अगले जन्म में हमेशा खुश रहे।'' जैन समुदाय की धार्मिक शब्दावली में संथारा को ‘‘सल्लेखना'' और ‘‘समाधि मरण'' भी कहा जाता है। कानूनी और धार्मिक हलकों में संथारा को लेकर वर्ष 2015 में बहस तेज हो गई थी, जब राजस्थान उच्च न्यायालय ने इस प्रथा को भारतीय दंड विधान की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और 309 (आत्महत्या का प्रयास) के तहत दंडनीय अपराध करार दिया था। हालांकि, जैन समुदाय के अलग-अलग धार्मिक निकायों की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने राजस्थान उच्च न्यायालय के इस आदेश के अमल पर रोक लगा दी थी।

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