Edited By Vikas Tiwari, Updated: 14 Dec, 2025 08:12 PM

जिले में जातिगत टिप्पणियों को लेकर शुरू हुआ विवाद अब राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर गंभीर रूप लेता जा रहा है। सोशल मीडिया पर की गई आपत्तिजनक पोस्टों ने न सिर्फ सामाजिक समरसता पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि राजनीतिक दलों को भी सफाई देने पर मजबूर कर दिया है।
सीधी (सूरज शुक्ला): जिले में जातिगत टिप्पणियों को लेकर शुरू हुआ विवाद अब राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर गंभीर रूप लेता जा रहा है। सोशल मीडिया पर की गई आपत्तिजनक पोस्टों ने न सिर्फ सामाजिक समरसता पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि राजनीतिक दलों को भी सफाई देने पर मजबूर कर दिया है।
विवाद की शुरुआत संतोष वर्मा की एक टिप्पणी से हुई, जिसका समर्थन भाजपा के पूर्व राज्यसभा सांसद अजय प्रताप सिंह ने किया। इस समर्थन के बाद सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो गया। मामला तब और बिगड़ा जब एडवोकेट रोहित मिश्रा ने एक पोस्ट के जरिए ब्राह्मण समाज के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों के प्रयोग का आरोप लगाते हुए कड़ी आपत्ति दर्ज कराई। शनिवार शाम भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता रहे वीरेंद्र सिंह बघेल की सोशल मीडिया पोस्ट ने विवाद को और हवा दे दी। उन्होंने ब्राह्मण समाज को लेकर आपत्तिजनक दावा किया, जिसके बाद सामाजिक तनाव और बढ़ गया। इस पर अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कार्रवाई की मांग की।
अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज के जिला अध्यक्ष पंडित राकेश दुबे ने तीन दिन का अल्टीमेटम देते हुए कहा कि यदि आरोपों के समर्थन में सूची प्रस्तुत नहीं की गई, तो थाने में आवेदन देकर एफआईआर दर्ज कराने की मांग की जाएगी। एफआईआर न होने की स्थिति में आंदोलन की चेतावनी भी दी गई है। इधर, भारतीय जनता पार्टी ने पूरे मामले से खुद को अलग करते हुए स्पष्ट किया है कि वीरेंद्र सिंह बघेल भाजपा के कार्यकर्ता नहीं हैं। भाजपा जिला अध्यक्ष देव कुमार सिंह चौहान ने कहा कि पार्टी किसी भी जाति या समुदाय के खिलाफ बयानबाजी का समर्थन नहीं करती और ऐसे मामलों में कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। फिलहाल मामला पुलिस और प्रशासन की निगरानी में है, वहीं जिले में बढ़ते सामाजिक तनाव को देखते हुए सभी पक्षों की नजर आगे की कार्रवाई पर टिकी हुई है।