Edited By Vikas Tiwari, Updated: 31 Dec, 2025 06:03 PM

छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के पाटन विकासखंड स्थित जामगांव एम में स्थापित केन्द्रीय प्रसंस्करण इकाई (CPU) ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने और रोजगार सृजन का सशक्त केंद्र बनकर उभरी है। यह इकाई वनोपज और औषधीय पौधों के संग्रह, प्रसंस्करण और मूल्यवर्धन...
दुर्ग (पुष्पेंद्र सिंह): छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के पाटन विकासखंड स्थित जामगांव एम में स्थापित केन्द्रीय प्रसंस्करण इकाई (CPU) ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने और रोजगार सृजन का सशक्त केंद्र बनकर उभरी है। यह इकाई वनोपज और औषधीय पौधों के संग्रह, प्रसंस्करण और मूल्यवर्धन के माध्यम से खासकर ग्रामीण महिलाओं और वन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को नियमित आय और रोजगार के अवसर प्रदान कर रही है।

लगभग 111 एकड़ क्षेत्र में विकसित इस परियोजना के तहत छत्तीसगढ़ शासन एवं राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ द्वारा ग्रामीणों से वनोपज का क्रय, संग्रहण और प्रसंस्करण किया जा रहा है। यहां तैयार किए गए उत्पाद ‘छत्तीसगढ़ हर्बल ब्रांड’ के नाम से बाजार में उपलब्ध हैं, जो शुद्ध और स्वास्थ्यवर्धक माने जाते हैं। प्रसंस्करण इकाई में आंवला, बेल और जामुन से जूस, कैंडी, मुरब्बा, शरबत, पल्प और रेडी-टू-सर्व पेय जैसे उत्पाद बनाए जा रहे हैं। इन उत्पादों की बिक्री एनडब्ल्यूएफपी मार्ट और संजीवनी स्टोर के माध्यम से की जाती है। मात्र एक वर्ष में लगभग 44 लाख रुपये मूल्य के उत्पादों का उत्पादन कर स्थानीय रोजगार को नई दिशा दी गई है।
इकाई परिसर में 20 हजार मीट्रिक टन क्षमता वाला केंद्रीय वेयरहाउस भी स्थापित किया गया है, जहां कोदो, कुटकी, रागी, हर्रा, चिरायता, कालमेघ, पलास फूल और साल बीज जैसे वनोपज का सुरक्षित भंडारण किया जा रहा है। इन गतिविधियों से अब तक 5,200 से अधिक मानव दिवस का रोजगार सृजित हो चुका है। इसके साथ ही पीपीपी मॉडल पर स्थापित हर्बल एक्सट्रैक्शन यूनिट में गिलोय, अश्वगंधा, शतावरी, सफेद मुसली और अन्य औषधीय पौधों से अर्क तैयार किया जा रहा है, जिसका उपयोग आयुर्वेदिक और वेलनेस उत्पादों में किया जाता है। इससे ग्रामीण संग्राहकों को उचित मूल्य और स्थायी आय का लाभ मिल रहा है। जामगांव एम की यह केन्द्रीय प्रसंस्करण इकाई छत्तीसगढ़ में ग्रामीण विकास, आत्मनिर्भरता और रोजगार सृजन की एक सफल मिसाल बनकर सामने आई है।