Edited By meena, Updated: 23 Jun, 2020 02:16 PM
कोरोना वायरस के चलते ओड़िशा में निकाली जाने वाली भगवान जगन्नाथ की यात्रा को सुप्रीम कोर्ट ने शर्तों के साथ निकलने की इजाजत दे दी। ओड़िशा की तर्ज पर मध्य प्रदेश के पन्ना में पिछले 170 सालों से निकाली जाने वाली यात्रा की मांग भी जोर पकड़ने लगी। खास...
पन्ना(टाइगर खान): कोरोना वायरस के चलते ओड़िशा में निकाली जाने वाली भगवान जगन्नाथ की यात्रा को सुप्रीम कोर्ट ने शर्तों के साथ निकलने की इजाजत दे दी। ओड़िशा की तर्ज पर मध्य प्रदेश के पन्ना में पिछले 170 सालों से निकाली जाने वाली यात्रा की मांग भी जोर पकड़ने लगी। खास बात यह रही कि यह मांग मुस्लिम समाज द्वारा की जा रही है। मुस्लिम समाज ने एकता भाईचारे का उदाहरण पेश करते हुए प्रशासन से यहां भी रथ यात्रा निकालने की मांग की है।
आपको बता दें कि कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए उड़ीसा में हर साल निकलने वाली रथयात्रा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शर्तों के साथ मंजूरी दी है। इसी की तर्ज पर मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में भी 170 वर्ष से रथ यात्रा निकालने की परंपरा है। उड़ीसा में मंजूरी मिलने के बाद पन्ना जिले के मुस्लिम समाज ने एकता भाईचारे का उदाहरण पेश करते हुए प्रशासन से यहां भी रथ यात्रा निकालने की मांग की है और रथयात्रा निकालने का समर्थन किया है।
मुस्लिम समाज की रथ यात्रा का समर्थन हमारे देश की एकता अखंडता को और मजबूत करता है। हालांकि जिला प्रशासन व जगन्नाथ स्वामी मंदिर के पुजारियों द्वारा अब रथयात्रा निकालने की तैयारियां की जा रही है और शहर वासियों से घर से ही दर्शन करने की अपील की गई है । जिससे ज्यादा भीड़भाड़ न एकजुट हो सके और रथयात्रा निकालने की परंपरा भी सफल हो सके।
बता दें कि इस वर्ष कोरोना संक्रमण के चलते रथयात्रा निकलने में काफी मशक्कत के बाद कुछ शर्तों के साथ रथयात्रा निकालने का फैसला ले लिए गया है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी रथयात्रा परंपरागत शांति पूर्ण व बिना भीड़भाड़ के निकालने का बयान दिया है।
गौरतलब है कि हिन्दू धर्म में जगन्नाथ रथ यात्रा का खास महत्व है। मान्यताओं के अनुसार रथयात्रा निकालकर भगवान जगन्नाथ को प्रसिद्ध गुंडिचा माता मंदिर पहुंचाया जाता हैं, जहां भगवान 7 दिनों तक आराम करते हैं। इस दौरान गुंडिचा माता मंदिर में खास तैयारी होती है और मंदिर की सफाई के लिये इंद्रद्युमन सरोवर से जल लाया जाता है। इसके बाद भगवान जगन्नाथ की वापसी की यात्रा शुरु होती है।