नर्मदा जयंती पर सीएम कमलनाथ व शिवराज सिंह ने दी बधाई, जानिए मां नर्मदा से जुड़ी रोचक बातें

Edited By meena, Updated: 01 Feb, 2020 01:32 PM

cm kamal nath and shivraj singh congratulated on narmada jayanti

हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मैकाल सुता मां नर्मदा की जयंती मनाई जाती है। नर्मदा जयंती के दिन इस नर्मदा चालीसा का पाठ करने से अनेक इच्छाओं की पूर्ति होने लगती है। नर्मदा भारतीय प्रायद्वीप की सबसे प्रमुख और...

भोपाल: हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मैकाल सुता मां नर्मदा की जयंती मनाई जाती है। नर्मदा जयंती के दिन इस नर्मदा चालीसा का पाठ करने से अनेक इच्छाओं की पूर्ति होने लगती है। नर्मदा भारतीय प्रायद्वीप की सबसे प्रमुख और भारत की पांचवी बड़ी नदी मानी जाती है। इसे मध्य प्रदेश की जीवन-रेखा कहा जाता है। पर्वतराज मैकाल की पुत्री नर्मदा को रेवा के नाम से भी जाना जाता है। यह एकमात्र ऐसी नदी है जिसका पुराण है और जिसकी परिक्रमा की जाती है। बड़े-बड़े ऋषि मुनि नर्मदा के तटों पर गुप्त तप करते हैं। नर्मदा नदी पर तीन जलप्रपात कपिल धारा, दुग्ध धारा, भेड़ा घाट स्थित हैं। इसी नदी पर भारत का प्रसिद्ध डैम सरदार सरोवर बना हुआ है।

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धार्मिक महत्व
अगर धार्मिक दृष्टि से देखें तो हमारे धर्म में वैदिक काल की सात नदियों के समूह को सप्तनदी कहा जाता है। इन सप्तनदियों में गंगा, गोदावरी, यमुना, सिंधु, सरस्वती, कावेरी और नर्मदा नदी शामिल हैं। कहा जाता है इन सात की सात नदियों के जल में सकारात्मक ऊर्जा को आकृष्ट करने और उसे वातावरण में प्रवाहित करने की शक्ति मौज़ूूद है। इसका कारण प्राचीन समय से जुड़ा है। कहा जाता है प्राचीन समय में अधिकतर योगी-मुनि ने ईश्वर से एकाकार करने के लिए इन्हीं नदियों के किनारे तपस्या की थी। जिस कारण इनमें भी कई तरह की शक्तियां पैदा हो गई।

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जन्म की कथा व स्नान का महत्व

ऐसी कथा है कि यह भगवान शिव के पसीने से एक 12 साल की कन्या रूप में उत्पन्न हुई थीं। फिर जीवन ने ऐसा मोड़ लिया कि प्यार में इन्हें धोखा मिला और यह उलटी दिशा में बह निकली। इस नदी का हर कंकड़ शंकर के समान है, जिसे नर्मदेश्वर महादेव के रूप में पूजा जाता है। कहा जाता है आदि-अनादि काल से मां की महिमा चली आ रही है। पद्मपुराण के आदिखंड में लिखा है कि त्रिभि: सारस्वतं तोयं सप्ताहेन तु यामुनम्, सद्य: पुनाति गांगेयं दर्शनादेव नर्मदाम्। अर्थात सरस्वती का जल तीन दिनों के स्नान से व्यक्ति को पवित्र करता है, यमुना का सात दिनों में, गंगा का पुण्य स्नान करते ही प्राप्त हो जाता है। परंतु मां नर्मदा का जल केवल दर्शन मात्र से ही पुण्य की प्राप्ति करवा मोक्ष प्रदान करने वाला माना जाता है।

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नाम का अर्थ व महत्व
नर्मदा नदी को सुख देने वाली बताया गया है। जिसमें “नर्म” का अर्थ है “सुख” और “दा” का अर्थ है “देने वाली”। इसके दर्शन मात्र से सारे दुख दूर हो जाते हैं।

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सीएम कमलनाथ ने प्रदेशवासियों को नर्मदा जंयती पर दी बधाई

पूर्व सीएम शिवराज सिंह ने भी ट्वीट कर दी बधाई 

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