Edited By Himansh sharma, Updated: 17 Aug, 2025 07:42 PM

शहर में साइबर अपराधियों की सक्रियता का एक और मामला उजागर हुआ है।
इंदौर। (सचिन बहरानी): शहर में साइबर अपराधियों की सक्रियता का एक और मामला उजागर हुआ है। बंगाली चौराहे के पास रहने वाली फाइनेंस कंपनी की डायरेक्टर मोनिका सूद को शातिर ठगों ने डिजिटल अरेस्ट करने की कोशिश की। हालांकि, समय रहते पुलिस की मदद से महिला को सुरक्षित निकाल लिया गया।
एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया ने बताया कि मोनिका सूद को एक कॉल आया था। कॉल करने वाले ने खुद को मुंबई के कोलाबा पुलिस स्टेशन का अधिकारी बताकर कहा कि उनकी सिम कार्ड देशविरोधी गतिविधियों में इस्तेमाल हुई है। ठग लगातार दबाव बनाता रहा कि मामला गंभीर है और महिला को तुरंत जांच में सहयोग करना होगा, साथ ही कॉल पर ही बने रहना होगा। दरअसल, इस ठगी के तरीके को साइबर जगत में ‘डिजिटल अरेस्ट’ कहा जाता है। इसमें पीड़ित को डराकर वीडियो कॉल या फोन पर निगरानी में रखा जाता है और फिर भय का माहौल बनाकर उनके बैंक खातों से रकम निकलवाई जाती है।
घटना के दौरान मोनिका सूद के पति सुदीप सूद भी घर पर मौजूद थे। जब उन्हें मामले की जानकारी मिली तो उन्होंने तुरंत एडिशनल डीसीपी को सूचना दी। क्राइम ब्रांच की टीम मौके पर पहुंची और महिला को ठगों के जाल से बाहर निकाला। बाद में पुलिस अधिकारियों ने दंपति को समझाइश भी दी कि यह एक नया साइबर फ्रॉड का तरीका है और ऐसे कॉल्स से सावधान रहना बेहद जरूरी है।पुलिस के अनुसार, शुरुआती जांच में यह मामला किसी अंतरराज्यीय गिरोह से जुड़ा प्रतीत हो रहा है। फिलहाल कॉल करने वालों की लोकेशन और पहचान पता की जा रही है।
अधिकारियों ने आम नागरिकों से अपील की है कि यदि कभी इस तरह का कॉल आए जिसमें खुद को पुलिस अधिकारी, बैंक अधिकारी या सरकारी एजेंसी का सदस्य बताया जाए और केस दर्ज होने की धमकी दी जाए, तो घबराने के बजाय तुरंत स्थानीय पुलिस से संपर्क करें।
साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि इंदौर सहित देश के कई शहरों में डिजिटल अरेस्ट जैसे मामले बढ़ रहे हैं। इनका उद्देश्य केवल डर का माहौल बनाकर पैसों की ठगी करना है। समय पर पुलिस को सूचना देकर ही ऐसे अपराधों पर रोक लगाई जा सकती है।