कर्जमाफी ना होने से किसान परेशान, बहु-बेटियों के जेवर गिरवी रखकर खरीद रहे खाद-बीज

Edited By Jagdev Singh, Updated: 07 Dec, 2019 05:05 PM

farmers upset debt waiver buying fertilizer seeds pledging jewelery

मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में 85 हजार पात्र किसान अभी भी कर्ज माफी के इंतजार में आस लगाए बैठे हैं। जिनकी एक रुपए की भी कर्जमाफी नहीं हुई है। खरीफ की फसल खराब होने और कर्ज माफ न होने से किसानों की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई है। वहीं अब इन किसानों...

रायसेन: मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में 85 हजार पात्र किसान अभी भी कर्ज माफी के इंतजार में आस लगाए बैठे हैं। जिनकी एक रुपए की भी कर्जमाफी नहीं हुई है। खरीफ की फसल खराब होने और कर्ज माफ न होने से किसानों की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई है। वहीं अब इन किसानों को रबी की फसल की बोवनी के लिए अपनी बहू-बेटियों के जेवर गिरवी रखकर कर्ज लेना पड़ रहा है। इससे किसानों की हित की बात करने वालों पर सवाल खड़े होने लगे हैं।

30 मार्च 2018 से पहले रायसेन जिले में कर्जमाफी के लिए पात्र किसानों की संख्या 1 लाख 31 हजार थी। इसमें से महज 45 हजार किसानों का ही 10 महीने में कर्ज माफ हो पाया है। इनमें भी ऐसे किसान बड़ी संख्या में हैं। वहीं इन किसानों में से किसी का एक हजार तो किसी का 2 हजार रुपए का ही कर्ज माफ हो पाया है। इस तरह से जिले में कुल 10 करोड़ रुपए का ही कर्ज माफ हुआ है। जिले में अभी 85 हजार 45 किसानों का कर्ज माफ नहीं हुआ है। जिम्मेदारों के मुताबिक 45 हजार किसानों का कर्ज अब दूसरे राउंड में माफ होना है, लेकिन कब तक हो पाएगा इसकी कोई जानकारी तक नहीं दे पा रहा है।

पहले सहकारी समितियों से किसानों को बैंक खातों के आधार पर उधारी में खाद मिल जाता था। इस राशि को किसान फसल आने पर ब्याज सहित चुकता कर देते थे, लेकिन इस बार किसानों के ऊपर गंभीर आर्थिक संकट होने के बावजूद एक आदेश जारी कर दिया गया है कि नगद राशि जमा करने पर ही किसानों को यूरिया दिया जाएगा। इसके बाद सहकारी समितियां हों या मार्कफेड की गोडाउन, सभी जगह निजी दुकानों की तरह किसानों को यूरिया के लिए नगद राशि चुकाना पड़ रही है।

उदयपुरा के कैकड़ा गांव में रहने वाले किसान गोविंद लोधी के मुताबिक बेटी के विवाह में उनके ऊपर 4 लाख रु. का कर्ज हो गया। उसके बाद उन्होंने अपनी 10 एकड़ जमीन में अरहर, मूंग और धान की बोवनी की। अच्छी फसल की उम्मीद थी, लेकिन अतिवृष्टि से 4 एकड़ जमीन में बोई गई अरहर और 3 एकड़ की मूंग पूरी तरह से नष्ट हो गई। इससे एक लाख का कर्ज चढ़ गया। 3 एकड़ जमीन में धान की बोवनी की इसमें 60 हजार की लागत आई। धान का उत्पादन मिला 24 क्विंटल जो बमुश्किल 48 हजार रु. में बिकी। खरीफ की फसल तक ही गोविंद पर 5 लाख का कर्ज चढ़ चुका था। गोविंदसिंह ने अपने बेटी के सोने के कड़े गिरवी रखकर कर्ज लिया तब जाकर वे रबी की फसल के लिए खाद और बीज खरीद पाए हैं। कर्जमाफी नहीं हुई इसलिए बैंक से भी पैसा नहीं मिल पा रहा है।

देवनगर क्षेत्र में आने वाले तरावली गांव निवासी कमलेश अहिरवार के मुताबिक उन्होंने सेंट्रल बैंक के किसान क्रेडिट कार्ड पर एक लाख रुपए का फसलों के लिए लोन लिया था। लोन की इस राशि का उपयोग करते 2 एकड़ जमीन में खरीफ की फसलें उगा दी। अतिवृष्टि से फसलें खराब हो गईं। सोचा था कर्जमाफी हो जाएगी। तो बैंक का लोन चुका दूंगा। इससे बैंक से और राशि मिल जाने के बाद वे खेती का आगे काम कर पाएंगे। लेकिन खरीफ की फसल अतिवृष्टि की चपेट में आने से नष्ट हो गई। इससे बहुत घाटा उठाना पड़ा। एक लाख रुपए का कर्ज माफ हो जाता तो भी राहत मिल जाती। लेकिन एक रुपए की भी कर्जमाफी नहीं हुई। अब रबी फसल के लिए खाद-बीज का इंतजार करना भी मुश्किल हो गया तो मजबूरी में पत्नी के जेवर गिरवी रखकर कर्ज लिया। कर्ज कि इस राशि से रबी फसल के लिए खाद बीज खरीद रहे हैं।

रायसेन जिले के भारतीय किसान यूनियन अध्यक्ष मुकेश शर्मा ने कहा कि कर्जमाफी न होने से किसान बहुत ही गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं। सरकार को जल्द से जल्द कर्जमाफी करना चाहिए। इसके अलावा धान के रेट भी बहुत कम मिल रहे हैं इससे किसानों को नुकसान हो रहा है। इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए। नहीं तो किसान यूनियन को आंदोलन करने के लिए बाध्य होगा। वहीं कृषि विभाग के उपसंचालक एनपी सुमन पहले राउंड में 45 हजार किसानों की कर्जमाफी हुई है। दूसरे राउंड में फिर इतने ही किसानों का कर्ज माफ किया जाना है। राशि आवंटित होते ही किसानों के खातों में डाल दी जाएगी। प्रक्रिया चल रही है। किसानों की कर्जमाफी होगी।
 

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